यह है बिहार बोर्ड...यहां छात्रों को मिलती है तारीख पर तारीख
इंटर रिजल्ट प्रकाशन को छह माह से अधिक हो चुके है, लेकिन रिजल्ट में गड़बड़ी की शिकायत इंटर काउंसिल के काउंटर पर स्वीकार नहीं किया जा रहा है। छात्रों को तारीख पर तारीख मिल रही है।
By Ravi RanjanEdited By: Updated: Thu, 16 Nov 2017 09:32 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। इंटर रिजल्ट प्रकाशन को छह माह से अधिक हो चुके है, लेकिन रिजल्ट में गड़बड़ी की शिकायत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के उच्च प्रभाग (इंटर काउंसिल) के काउंटर पर स्वीकार नहीं की जा रही है। अंक, प्रमाणपत्र तथा अन्य कागजात में सुधार के लिए जो आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं, वे कार्यालय के एक-दो चक्कर लगाने के बाद मिल ही जाएंगे कहना मुश्किल है।
बुधवार को दैनिक जागरण की 'ऑन-द-स्पॉट' टीम इंटर काउंसिल कार्यालय पहुंची तो आवेदक बोर्ड की लेटलतीफी से हलकान दिखे। अंक और प्रमाणपत्र में एक शब्द की गलती शैक्षणिक कॅरियर को कितना प्रभावित कर सकती है, इसका अनुभव बोर्ड कार्यालय आने के बाद ही किया जा सकता है। टीम ने सुबह 10:30 से दोपहर 1:00 बजे तक कार्यालय के विभिन्न काउंटरों का जायजा लिया। दर्जनों विद्यार्थी, अभिभावक, कर्मी और अधिकारियों से बात की। प्रस्तुत है बोर्ड कार्यालय में बिताए गए ढाई घंटे का आंखों देखा हाल।
काउंटर खुलने से पहले भर जाता है हॉल
सुबह 10:30 बजे हैं। इंटर काउंसिल का आवेदन काउंटर हॉल विद्यार्थियों से खचाखच भरा हुआ है। कर्मी आवेदन लेने की तैयारी में हैं। माइक से सभी को पंक्तिबद्ध होने का निर्देश दिया जाता है। हॉल में रोशनी की व्यवस्था बेहतर नहीं है। ट्यूबलाइट खराब और तार जर्जर हो गए हैं। इसी बीच माइक से काउंटर कर्मी घोषणा करते हैं कि 2017 की इंटर वार्षिक परीक्षा में त्रुटि सुधार के आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं।
ऐसे सभी विद्यार्थी पंक्ति से बाहर हो जाएं। विद्यार्थी शोर करने लगे। कैमरे का फ्लैश चमकते ही काउंटर कर्मी सचेत हो गए। घोषणा के शब्द नरम हो गए। जिन विद्यार्थियों को थोड़ी देर पहले झिड़की दी जा रही थी, उन्हें तीसरे तल पर प्रशाखा पदाधिकारी के पास अपनी शिकायत दर्ज कराने की सलाह काउंटर कर्मी देने लगे।
सुबह 11:00 बजे : नए आवेदन लेने का आदेश नहीं है
ऑन द स्पॉट की टीम ने सुबह 11:00 बजे काउंटर कर्मी से 2017 के परीक्षार्थियों के आवेदन नहीं लेने का कारण पूछा तो कहा गया कि बड़ा बाबू ने मना किया है। टीम की भनक तबतक सभी अधिकारियों और कर्मियों को लग चुकी थी।
बड़ा बाबू ने कहा, हमलोग तो हुक्म मानते हैं। पिछले माह कुछ आवेदन लिए गए थे। उनका संशोधित अंक और प्रमाणपत्र अभी तक जारी नहीं किया गया है। उपसचिव के स्तर से रोक लगी है। विशेष जानकारी तीसरे तल पर प्रशाखा पदाधिकारी देंगे। टीम को परेशान विद्यार्थियों ने घेर लिया। सभी बोर्ड की लेटलतीफी की पोल खोलने लगे।
इसी बीच काउंटर पर नवादा से आए विद्यार्थी पंकज कुमार शोर मचाने लगा। उसने बताया कि इंटर की परीक्षा 2016 में वह उत्तीर्ण हुआ है। पिता और माता के नाम में गलती है। संशोधित पत्र लेने के लिए तीन नवंबर को बुलाया गया था। इस बीच तीन चक्कर लगा चुके हैं। हर दिन अगली तिथि बता दी जा रही है। काउंटर पर भीड़ मिनट-दर-मिनट बढ़ती ही जा रही थी।
सुबह 11:30 बजे : सचिव के पास भेज दी है फाइल
काउंटर से भेजे गए कई विद्यार्थी तीसरे तल पर प्रशाखा पदाधिकारी के कमरे के बाहर पंक्तिबद्ध थे। दो गार्ड आवेदनों की जांच के बाद ही परीक्षार्थियों को आगे जाने दे रहे थे। फ्लैश चमकते ही बोले, यहां फोटो खींचना मना है।
परिचय देने पर कहा, स्लिप दीजिए। पदाधिकारी कंप्यूटर पर काम निपटा रहे थे और बच्चे पंक्तिबद्ध थे। टीम को प्रशाखा पदाधिकारी ने बताया कि 2017 के रिजल्ट आवेदन को छोड़ अन्य आवेदन लिए जा रहे हैं। 2017 के परीक्षार्थियों के आवेदन लेने के लिए सचिव के पास फाइल भेज दी गई है। विशेष जानकारी माध्यमिक प्रभाग में अध्यक्ष और सचिव ही दे सकते हैं। यहां भी अधिसंख्य अभ्यर्थियों को निराशा ही हाथ लगी।
दोहपर 12:00 बजे : काम कराना है या हालचाल पूछना
पूछताछ काउंटर से आवेदकों को कार्य प्रगति की जानकारी के लिए प्रमंडल स्तर पर बने प्रभाग में भेजा जाता है। दोपहर 12:00 बजे मगध प्रभाग में पहुंचे तो तीन कुर्सियां खाली थीं। सब कहां गए हैं, पूछने पर कर्मी का जवाब मिला- काम कराना है या सब का हालचाल लेना है। काम बताएं, कौन कहां गए हैं, इसे जानने के लिए अधिकारी बहाल हैं। अन्य प्रभाग की स्थिति भी इससे जुदा नहीं थी। संशोधित अंक और प्रमाणपत्र कब मिलेगा, इसका टका सा जवाब होता है, बोर्ड में नये आए हैं क्या? सिस्टम साथ नहीं दे रहा है। इसलिए काम की रफ्तार सुस्त है।
दोपहर 12:30 बजे : वितरण काउंटर पर दिखी मुस्तैदी
दोपहर 12:30 बजे वितरण काउंटर पर तीन स्टाफ पूरी मुस्तैदी में दिखे। विद्यार्थियों को उनके आवेदन की अद्यतन जानकारी के साथ-साथ तैयार हो चुके प्रमाणपत्र भी दे रहे थे। रसीद पर अंकित तिथि को संशोधित अंक पत्र, प्रमाण पत्र आदि नहीं मिलने की बाबत विद्यार्थियों को बता रहे थे कि नया सिस्टम पूरी तरह से काम नहीं कर रहा है। एजेंसी कर्मियों को बगैर सूचना दिए कमोबेश हर सप्ताह सॉफ्टवेयर अपडेट कर दे रही है। इससे प्रिंटिंग प्रभावित हो जाती है।
बोले छात्र :
2016 में इंटर की परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ था। पिता का नाम राजाराम के स्थान पर राजराम कर दिया गया है। एडमिट कार्ड खो गया है। अब बगैर उसके संशोधन के लिए आवेदन स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
- धर्मवीर, गया
2017 में उत्तीर्ण हुए हैं। नाम में त्रुटि है। अगस्त में आया था तो सितंबर में बुलाया। सितंबर में आया तो अक्टूबर में और अब दिसंबर में आवेदन स्वीकार करने की बात कर रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है।
- शशि कुमार, सासाराम
अंक और प्रमाणपत्र में दर्ज गलत नाम पर स्नातक में दाखिला ले लिया है। कॉलेज से संशोधित अंक और प्रमाणपत्र की मांग की जा रही है। जल्द जमा नहीं करने पर गलत नाम से ही रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।
- प्रशांत कुमार, मलियाबाग, रोहतास
संशोधित प्रमाणपत्र के लिए नौ नवंबर को रसीद कटाई। उसी दिन प्रमाणपत्र देने की तिथि रसीद पर दर्ज है। शाम को बताया गया कि 13 को आइए। उस दिन भी नहीं मिली, 15 को बुलाया। आज शाम में आने को कहा गया है।
- रोशन कुमार, बेगूसराय
बुधवार को दैनिक जागरण की 'ऑन-द-स्पॉट' टीम इंटर काउंसिल कार्यालय पहुंची तो आवेदक बोर्ड की लेटलतीफी से हलकान दिखे। अंक और प्रमाणपत्र में एक शब्द की गलती शैक्षणिक कॅरियर को कितना प्रभावित कर सकती है, इसका अनुभव बोर्ड कार्यालय आने के बाद ही किया जा सकता है। टीम ने सुबह 10:30 से दोपहर 1:00 बजे तक कार्यालय के विभिन्न काउंटरों का जायजा लिया। दर्जनों विद्यार्थी, अभिभावक, कर्मी और अधिकारियों से बात की। प्रस्तुत है बोर्ड कार्यालय में बिताए गए ढाई घंटे का आंखों देखा हाल।
काउंटर खुलने से पहले भर जाता है हॉल
सुबह 10:30 बजे हैं। इंटर काउंसिल का आवेदन काउंटर हॉल विद्यार्थियों से खचाखच भरा हुआ है। कर्मी आवेदन लेने की तैयारी में हैं। माइक से सभी को पंक्तिबद्ध होने का निर्देश दिया जाता है। हॉल में रोशनी की व्यवस्था बेहतर नहीं है। ट्यूबलाइट खराब और तार जर्जर हो गए हैं। इसी बीच माइक से काउंटर कर्मी घोषणा करते हैं कि 2017 की इंटर वार्षिक परीक्षा में त्रुटि सुधार के आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं।
ऐसे सभी विद्यार्थी पंक्ति से बाहर हो जाएं। विद्यार्थी शोर करने लगे। कैमरे का फ्लैश चमकते ही काउंटर कर्मी सचेत हो गए। घोषणा के शब्द नरम हो गए। जिन विद्यार्थियों को थोड़ी देर पहले झिड़की दी जा रही थी, उन्हें तीसरे तल पर प्रशाखा पदाधिकारी के पास अपनी शिकायत दर्ज कराने की सलाह काउंटर कर्मी देने लगे।
सुबह 11:00 बजे : नए आवेदन लेने का आदेश नहीं है
ऑन द स्पॉट की टीम ने सुबह 11:00 बजे काउंटर कर्मी से 2017 के परीक्षार्थियों के आवेदन नहीं लेने का कारण पूछा तो कहा गया कि बड़ा बाबू ने मना किया है। टीम की भनक तबतक सभी अधिकारियों और कर्मियों को लग चुकी थी।
बड़ा बाबू ने कहा, हमलोग तो हुक्म मानते हैं। पिछले माह कुछ आवेदन लिए गए थे। उनका संशोधित अंक और प्रमाणपत्र अभी तक जारी नहीं किया गया है। उपसचिव के स्तर से रोक लगी है। विशेष जानकारी तीसरे तल पर प्रशाखा पदाधिकारी देंगे। टीम को परेशान विद्यार्थियों ने घेर लिया। सभी बोर्ड की लेटलतीफी की पोल खोलने लगे।
इसी बीच काउंटर पर नवादा से आए विद्यार्थी पंकज कुमार शोर मचाने लगा। उसने बताया कि इंटर की परीक्षा 2016 में वह उत्तीर्ण हुआ है। पिता और माता के नाम में गलती है। संशोधित पत्र लेने के लिए तीन नवंबर को बुलाया गया था। इस बीच तीन चक्कर लगा चुके हैं। हर दिन अगली तिथि बता दी जा रही है। काउंटर पर भीड़ मिनट-दर-मिनट बढ़ती ही जा रही थी।
सुबह 11:30 बजे : सचिव के पास भेज दी है फाइल
काउंटर से भेजे गए कई विद्यार्थी तीसरे तल पर प्रशाखा पदाधिकारी के कमरे के बाहर पंक्तिबद्ध थे। दो गार्ड आवेदनों की जांच के बाद ही परीक्षार्थियों को आगे जाने दे रहे थे। फ्लैश चमकते ही बोले, यहां फोटो खींचना मना है।
परिचय देने पर कहा, स्लिप दीजिए। पदाधिकारी कंप्यूटर पर काम निपटा रहे थे और बच्चे पंक्तिबद्ध थे। टीम को प्रशाखा पदाधिकारी ने बताया कि 2017 के रिजल्ट आवेदन को छोड़ अन्य आवेदन लिए जा रहे हैं। 2017 के परीक्षार्थियों के आवेदन लेने के लिए सचिव के पास फाइल भेज दी गई है। विशेष जानकारी माध्यमिक प्रभाग में अध्यक्ष और सचिव ही दे सकते हैं। यहां भी अधिसंख्य अभ्यर्थियों को निराशा ही हाथ लगी।
दोहपर 12:00 बजे : काम कराना है या हालचाल पूछना
पूछताछ काउंटर से आवेदकों को कार्य प्रगति की जानकारी के लिए प्रमंडल स्तर पर बने प्रभाग में भेजा जाता है। दोपहर 12:00 बजे मगध प्रभाग में पहुंचे तो तीन कुर्सियां खाली थीं। सब कहां गए हैं, पूछने पर कर्मी का जवाब मिला- काम कराना है या सब का हालचाल लेना है। काम बताएं, कौन कहां गए हैं, इसे जानने के लिए अधिकारी बहाल हैं। अन्य प्रभाग की स्थिति भी इससे जुदा नहीं थी। संशोधित अंक और प्रमाणपत्र कब मिलेगा, इसका टका सा जवाब होता है, बोर्ड में नये आए हैं क्या? सिस्टम साथ नहीं दे रहा है। इसलिए काम की रफ्तार सुस्त है।
दोपहर 12:30 बजे : वितरण काउंटर पर दिखी मुस्तैदी
दोपहर 12:30 बजे वितरण काउंटर पर तीन स्टाफ पूरी मुस्तैदी में दिखे। विद्यार्थियों को उनके आवेदन की अद्यतन जानकारी के साथ-साथ तैयार हो चुके प्रमाणपत्र भी दे रहे थे। रसीद पर अंकित तिथि को संशोधित अंक पत्र, प्रमाण पत्र आदि नहीं मिलने की बाबत विद्यार्थियों को बता रहे थे कि नया सिस्टम पूरी तरह से काम नहीं कर रहा है। एजेंसी कर्मियों को बगैर सूचना दिए कमोबेश हर सप्ताह सॉफ्टवेयर अपडेट कर दे रही है। इससे प्रिंटिंग प्रभावित हो जाती है।
बोले छात्र :
2016 में इंटर की परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ था। पिता का नाम राजाराम के स्थान पर राजराम कर दिया गया है। एडमिट कार्ड खो गया है। अब बगैर उसके संशोधन के लिए आवेदन स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
- धर्मवीर, गया
2017 में उत्तीर्ण हुए हैं। नाम में त्रुटि है। अगस्त में आया था तो सितंबर में बुलाया। सितंबर में आया तो अक्टूबर में और अब दिसंबर में आवेदन स्वीकार करने की बात कर रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है।
- शशि कुमार, सासाराम
अंक और प्रमाणपत्र में दर्ज गलत नाम पर स्नातक में दाखिला ले लिया है। कॉलेज से संशोधित अंक और प्रमाणपत्र की मांग की जा रही है। जल्द जमा नहीं करने पर गलत नाम से ही रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।
- प्रशांत कुमार, मलियाबाग, रोहतास
संशोधित प्रमाणपत्र के लिए नौ नवंबर को रसीद कटाई। उसी दिन प्रमाणपत्र देने की तिथि रसीद पर दर्ज है। शाम को बताया गया कि 13 को आइए। उस दिन भी नहीं मिली, 15 को बुलाया। आज शाम में आने को कहा गया है।
- रोशन कुमार, बेगूसराय
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