शक्ति रूपेण संस्थिता..
सोनपुर के नयागांव डुमरी बुजुर्ग में मां कालरात्रि का भव्य मंदिर स्थापित है। शारदीय व चैत्र न
By JagranEdited By: Updated: Sat, 23 Sep 2017 10:15 PM (IST)
सोनपुर के नयागांव डुमरी बुजुर्ग में मां कालरात्रि का भव्य मंदिर स्थापित है। शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना को आते हैं। भादो माह में अमावस्या को यहां वार्षिकोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है। बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। पूरे नवरात्र यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मां के दरबार में सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वालों की मां मुराद जरूरी पूरी करती है। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु मां को 22 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाते हैं।
मंदिर का इतिहास लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व मुगलकाल में राजस्थान से आए यहां के पूर्वजों ने गांव के पश्चिम मही नदी के किनारे एक ¨पड का निर्माण कर मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना शुरू की। सौ वर्ष बाद एक सिद्ध संत ने मिट्टी के ¨पड का पक्कानुमा निर्माण कराया। उसके ऊपर मां कालरात्रि की संगमरमर से निर्मित सफेद प्रतिमा स्थापित है। डुमरी बुजुर्ग में स्थापित मां कालरात्रि की मूर्ति दयामयी व हंसमुख चेहरे वाली है। ग्रामीणों की मान्यता है कि उत्तर भारत में इस तरह की मां कालरात्रि का सिर्फ यही एक मंदिर है।
मंदिर से जुड़ी है आस्था इस जागृत सिद्धपीठ मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। लगभग 50 किलोमीटर की परिधि में आने वाले हर घर में जब कभी भी शादी या कोई अन्य शुभ कार्य होता है तो वे सबसे पहले मां के दरबार में हाजरी लगाते हैं। बेटा की शादी में सोने का व बेटी की शादी में चांदी का मां का प्रतिरूप यहां चढ़ाते हैं। स्थानीय लोग इन्हें न्याय की देवी भी मानते हैं।
- यहां सालों भर सुबह व शाम मां की आरती, राग-भोग लगाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। शारदीय नवरात्र में मां के दरबार में दीप जलाने के बाद ही लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं। - पंडित ब्रजेशानंद मिश्र, पुजारी, फोटो-2 - मां कालरात्रि के प्रति लोगों की काफी आस्था है। मंदिर कमेटी की ओर से भव्य विवाह भवन का निर्माण कराया गया है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की निश्शुल्क व्यवस्था रहती है। - उमानंद ¨सह, सचिव, फोटो- 3
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