देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के संस्मरण में चंपारण सत्याग्रह, जानिए
बापू ने अहिंसा और सत्याग्रह की नई राह खोजी, जिसके दम पर देश आजाद हुआ और बापू के साथ चंपारण भी अमर हो गया।
By Ravi RanjanEdited By: Updated: Fri, 14 Apr 2017 09:39 PM (IST)
पश्चिमी चंपारण [सौरभ कुमार]। चंपारण ने देश को नई दिशा दी। यहीं पर बापू ने अहिंसा और सत्याग्रह की नई राह खोजी, जिसके दम पर देश आजाद हुआ और बापू के साथ चंपारण भी अमर हो गया। वह दौर बीत गया, लेकिन चंपारण की माटी में गांधीजी की यादें आज भी रची बसी हैं।
देश की आजादी के बाद प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने चंपारण के किसानों पर अंग्रेजों के जुल्म और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आंदोलन को रेखांकित करते हुए 'चंपारण में महात्मा गांधी' नाम से एक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में देश में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की कहानी है।और राजेंद्र बाबू को मिली प्रेरणा
1955 में तिरहुत प्रक्षेत्र के आयुक्त वासुदेव सोहानी ने अपने कार्यालय कक्ष में मिली राष्ट्रपिता की चिट्ठियों को सहेजा। इसी साल दशहरे में अपने पैतृक गांव जीरादेई पहुंचे राजेंद्र बाबू से मिलकर गांधीजी की चिट्ठियों की पोटली सौंप दी। चिट्ठियों से राजेंद्र बाबू को प्रेरणा मिली। अपनी पुस्तक में उन्होंने महात्मा गांधी के अप्रैल 1917 में बांकीपुर से मोतिहारी, बेतिया, नरकटियागंज, लौकरिया, बेलवा आदि गांवों के दौरे और मजदूरों के हाल से जुड़ी बातों को बेहद सलीके से कलमबद्ध किया।
1955 में तिरहुत प्रक्षेत्र के आयुक्त वासुदेव सोहानी ने अपने कार्यालय कक्ष में मिली राष्ट्रपिता की चिट्ठियों को सहेजा। इसी साल दशहरे में अपने पैतृक गांव जीरादेई पहुंचे राजेंद्र बाबू से मिलकर गांधीजी की चिट्ठियों की पोटली सौंप दी। चिट्ठियों से राजेंद्र बाबू को प्रेरणा मिली। अपनी पुस्तक में उन्होंने महात्मा गांधी के अप्रैल 1917 में बांकीपुर से मोतिहारी, बेतिया, नरकटियागंज, लौकरिया, बेलवा आदि गांवों के दौरे और मजदूरों के हाल से जुड़ी बातों को बेहद सलीके से कलमबद्ध किया।
यह भी पढ़ें: चंपारण सत्याग्रह: बापू के चंपारण आने से पहले राजकुमार ने फैलाया था संदेशराजेंद्र बाबू ने रामनवमी प्रसाद, पंडित राजकुमार शुक्ल, बाबू ब्रजकिशोर प्रसाद, शंभूशरण वर्मा, अनुग्रह नारायण सिंह, कोकिलमान मिश्र, चंद्रदेव नारायण आदि के असाधारण सहयोग की भी प्रशंसा की है। उन्होंने लिखा है कि सत्याग्रह का ही दबाव था कि मार्च 1918 में चंपारण एग्रेरियन बिल पास हुआ और कई अवैध कानून चंपारण से हटा लिए गए। चंपारण सत्याग्रह के बाद गांधीजी ने पूरी दुनिया को मुक्ति का नया मार्ग दिया।
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