टीसीएस और इन्फोसिस पर अमेरिका का हमला, लगाया H-1B वीजा नियमों के उल्लंघन का आरोप
अमेरिका ने टीसीएस और इन्फोसिस पर H-1B वीजा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। H-1B वीजा को लेकर जारी अनिश्चितताओं के बीच अमेरिका ने टीसीएस और इन्फोसिस पर गंभीर आरोप लगाया है। अमेरिका का कहना है कि इन दोनों कंपनियों ने H-1B वीजा नियमों का उल्लंघन किया है। अमेरिका का कहना है कि ये दोनों कंपनियां गलत तरीकों से जरूरत से ज्यादा H-1B वीजा हासिल करती हैं। आपको बता दें कि हाल ही में अमेरिका दौरे पर गए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्रंप प्रशासन के सामने एच-1बी वीजा का मुद्दा उठाया है। उन्होंने अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विलबर रोस को इस मुद्दे पर भारत की चिंताओं से अवगत कराया था।
ट्रंप प्रशासन के मुताबिक, “आउटसोर्सिंग करने वाली कुछ कंपनियों की ओर से काफी सारे आवेदन आते हैं जिससे स्वाभाविक तौर पर लॉटरी सिस्टम में उनके लिए मौके बढ़ जाते हैं। आप उन कंपनियों के नाम अच्छी तरह जानते हैं। सबसे ज्यादा H-1B वीजा पाने वालों में टाटा, इन्फोसिस, कॉग्नीजेंट जैसी कंपनियां शामिल हैं, ये बड़ी संख्या में वीजा के लिए आवेदन देती हैं और फिर लॉटरी सिस्टम में एक्स्ट्रा टिकटों के जरिए H-1B वीजा का बड़ा हिस्सा हासिल कर लेती हैं।” एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जब पूछा गया कि खासतौर पर भारतीय कंपनियों का ही नाम क्यों लिया गया, इस पर जवाब देते हुए अमेरिका प्रशासन ने कहा, "टीसीएस, इन्फोसिस और कॉग्नीजेंट सबसे ज्यादा H-1B वीजा हासिल करने वाली कंपनियां हैं। इस मामले में ये टॉप थ्री कंपनियां हैं।"
वहीं दूसरी तरफ इन आरोपों टीसीएस और इन्फोसिस दोनों ने ही अपनी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। गौरतलब है कि मौजूदा समय में इस वीजा को लेकर अमेरिका में लॉटरी सिस्टम लागू है जिसको बदलकर अमेरिकी प्रशासन मेरिट आधारित आव्रजन प्रणाली लागू करना चाहती है जिसके बाद सबसे योग्य उम्मीदवार को ही यह वीजा हासिल हो पाएगा।
वीजा संबंधी चिंताओं को अमेरिका के समक्ष रखा गया: रविशंकर प्रसाद
केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि एच1बी वीजा संबंधी भारत की चिंताओं के बारे में अमेरिका को भली भांति अवगत कराया गया है। प्रसाद ने कहा कि आईटी का इकोसिस्टम "पारस्परिकता" के दृष्टिकोण पर आधारित है। उन्होंने आगे कहा कि भारत न ही सीमाएं बनाता है और न ही सीमाओं की प्रशंसा करता है। गौरतलब है कि वाशिंगटन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी अमेरिका के वाणिज्य सचिव से मुलाकात कर चिंताओं को सामने रखा था।
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