RBI Instructions: चुनावी मौसम में वित्तीय लेन-देन में गड़बड़ी को लेकर बढ़ी मुस्तैदी, फिनटेक को आरबीआई ने दिया निर्देश
चुनाव आयोग का डाटा कहता है कि 01 मार्च से 13 अप्रैल 2024 के बीच कुल 4650 करोड़ रुपये के मूल्य के नकदी उपहार मादक द्रव्य या दूसरी गैरकानूनी वस्तुएं पकड़ी गई हैं। इसमें 395 करोड़ रुपये नकदी है जो विभिन्न वित्तीय एजेंसियों की सूचनओं पर जांच एजेंसियों ने जब्त किये हैं। दरअसलस आरबीआइ के स्तर पर उक्त पत्र चुनाव आयोग के कहने पर ही लिखा गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी मौसम में सरकारी एजेंसियां जहां लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व को सही तरह से समापन कराने में जुटे हैं वहीं वित्तीय लेन-देन की भी जबरदस्त तरीके से निगरानी की जा रही है। सरकारी या निजी क्षेत्र के बैंकों के स्तर पर संदेहास्पद वित्तीय लेन-देन की जानकारी जुटाने और उनकी सूचना संबंधित एजेंसियों को देने का काम पहले से भी ज्यादा मुस्तैदी से चल रहा है। साथ ही आरबीआइ के निर्देश पर वित्तीय लेन देन में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों से भी हर तरह की सूचनाएं जुटाई जा रही हैं।
आरबीआइ के ताजे निर्देश के बाद रेजरपे, कैशफ्री, इंफीबीम जैसी पेमेंट गेटवे कंपनियां, पेटीएम, मोबीक्विक, गूगलपे, फोनपे जैसे पेमेंट एप और वीजा, मास्टरकार्ड, रूपे जैसी कार्ड नेटवर्क की सुविधा देने वाली कंपनियों से सूचनाएं ली जा रही हैं।
पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स को आरबीआई ने लिखी चिट्ठी
आरबीआइ ने पिछले दिनों देश में कार्यरत पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स (पीएसओ) को एक पत्र लिख कर उनसे चुनावी मौसम में संदिग्ध लेन-देन की निगरानी करने और ज्यादा राशि के लेन-देन को लेकर सतर्क रहने को कहा गया है। निजी क्षेत्र की इन एजेंसियों को यह भी कहा गया है कि वह आरबीआइ के पहले से निर्धारित नियमों के मुताबिक केंद्रीय स्तर पर सूचनाओं को साझा करते रहें।
फिनटेक क्रांति चरम पर पहुंचने के बाद पहला चुनाव
दरअसल, आरबीआइ के मौजूदा नियमों के मुताबिक हर बैंक शाखा को संदिग्ध वित्तीय लेन-देन की सूचना निश्चित अंतरराल पर शीर्ष स्तर पर साझा करनी है। आरबीआइ की तरफ से लिखे गये पत्र के बारे में बैंकिंग सेक्टर के सूत्रों का कहना है कि यह भारत में फिनटेक क्रांति के पूरी तरह से चरम पर पहुंचने के बाद पहला आम चुनाव है। वर्ष 2019 में भी फिनटेक क्रांति इतनी चरम नहीं थी और पेमेंट गेटवे की सुविधा देने वाली दर्जनों कंपनियां भी तब नहीं थी या जो थी उनका विस्तार काफी सीमित था। ऐसे में आरबीआइ की यह चिंता जायज है क्योंकि पहले सिर्फ बैंकिंग चैनल के जरिए ही वित्तीय लेन-देन का मामला होता था और किसी भी तरह की वित्तीय गड़बडि़यों की निगरानी का काम बैंक शाखाओं के स्तर पर हो सकता था। अब कई विकल्प हैं। इसलिए ज्यादा सतर्कता जरूरी है।
चुनाव आयोग ने कहा, अब तक कुल 4650 करोड़ रुपये हुए जब्त
चुनाव आयोग का डाटा कहता है कि 01 मार्च से 13 अप्रैल, 2024 के बीच कुल 4650 करोड़ रुपये के मूल्य के नकदी, उपहार, मादक द्रव्य या दूसरी गैरकानूनी वस्तुएं पकड़ी गई हैं। इसमें 395 करोड़ रुपये नकदी है जो विभिन्न वित्तीय एजेंसियों की सूचनओं पर जांच एजेंसियों ने जब्त किये हैं। दरअसलस, आरबीआइ के स्तर पर उक्त पत्र चुनाव आयोग के कहने पर ही लिखा गया है। चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और चुनाव से कालेधन के इस्तेमाल को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने आरबीआइ का सहयोग मांगा है। सनद रहे कि चुनाव आयोग ने पिछले महीने ही सभी बैंकों को कहा था कि वह रोजाना संदिग्ध वित्तीय लेन-देन की सूचना उसे दे।