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शेयर बाजार बढ़ने पर होता है मुनाफा, गिरावट के बाद कहां जाता है आपका पैसा?

आप अक्सर खबर पढ़ते होंगे कि शेयर मार्केट में भारी गिरावट से निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये स्वाहा या फिर शेयर मार्केट गिरने से निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूबे। अब सवाल उठता है कि शेयर मार्केट गिरने के बाद आपका पैसा कहां जाता है? क्या यह किसी और निवेशक या स्टॉक एक्सचेंज या फिर सरकार को मिलता है। आइए इसका जवाब जानते हैं।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Published: Tue, 23 Apr 2024 03:35 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2024 03:35 PM (IST)
किसी भी शेयर कीमत उसका मूल्यांकन (Valuation) भर होता है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपका नुकसान हो रहा है, तो इसका मतलब कि किसी को उसका फायदा हो रहा है। यह दुनिया का अनकहा नियम है। लेकिन, इसके कुछ अपवाद भी हैं, जैसे कि शेयर मार्केट। आप अक्सर खबर पढ़ते होंगे कि शेयर मार्केट में भारी गिरावट से निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये स्वाहा या फिर शेयर मार्केट गिरने से निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूबे।

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अब सवाल उठता है कि जब भी शेयर मार्केट बढ़ता है, तो निवेशकों को फायदा होता है। लेकिन, शेयर मार्केट गिरने के बाद आपका पैसा कहां जाता है? क्या यह किसी और निवेशक या स्टॉक एक्सचेंज या फिर सरकार को मिलता है। आइए इसका जवाब जानते हैं।

कैसे तय होती है शेयर की कीमत?

शेयर मार्केट में कोई असल पैसा नहीं होता। किसी भी कंपनी के शेयर का मूल्य बाजार की धारणा पर टिका होता है। मतलब कि अगर निवेशकों को लगता है कि किसी कंपनी का रिजल्ट अच्छा आया है, या फिर भविष्य में कंपनी बेहतर करेगी, तो उसके शेयरों की खरीद तेज हो जाती है। फिर उस शेयर की डिमांड बढ़ जाती है और उसके साथ कीमतों में भी इजाफा होने लगता है।

मिसाल के लिए, सरकारी कंपनी IREDA को ले सकते हैं। IREDA जब तिमाही रिजल्ट का एलान करते हुए बताया कि उसका मुनाफा 33 प्रतिशत बढ़ गया, तो निवेशकों ने उसके शेयरों की खरीद बढ़ा दी और उसके शेयर प्राइस 7 प्रतिशत तक उछल गए। इसी तरह वोडाफोन आइडिया के FPO के बाद निवेशकों को लगा कि कंपनी की मुश्किलें कम होगी, तो उसके शेयरों की खरीदारी बढ़ी। साथ ही दाम भी बढ़ा।

अगर चीजें इसके उलट होती हैं, मतलब कि किसी कंपनी का नतीजा खराब आता है या फिर उसके साथ कोई कानूनी मसला होता है, तो निवेशक उसके भविष्य को लेकर चिंतित हो जाते हैं। फिर वे शेयर बेचने लगते हैं। इससे शेयर प्राइस कम हो जाती है। इसका एक बड़ा उदाहरण पेमेंट ऐप पेटीएम है। जब आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर बैन लगाया, तो उसके शेयरों का दाम तेजी से कम हुआ।

मार्केट गिरने पर कहां जाता है पैसा?

अब आपको मालूम हो गया है कि शेयर मार्केट में कोई वास्तविक पैसा नहीं होता। किसी भी शेयर कीमत बस उसका मूल्यांकन (Valuation) भर होता है। और यह तय होता है निवेशकों के सेंटिमेंट से। अब जैसे कि कोई ऑटोमोबाइल सेक्टर की है, मुकुल ऑटो करके। उसका शेयर प्राइस 500 रुपये है। मार्केट में खबर आती है कि मुकुल ऑटो ने ऐसा पेटेंट फाइल किया है, जिसका गाड़ियों का माइलेज काफी बढ़ जाएगा।

इस खबर के बाद लोगों को लगता है कि मुकुल ऑटो की गाड़ियों की बिक्री खूब बढ़ेगी और वे उसका शेयर खरीदने लगते हैं। भाव 900 रुपये तक पहुंच जाता है। लेकिन, फिर खबर आती है कि मुकुल ऑटो जो माइलेज बढ़ाने वाली टेक्नोलॉजी है, उसमें सेफ्टी इश्यू हैं। ऐसे में लोग उसके शेयर बेचने लगते हैं और भाव गिरकर 400 रुपये आ जाता है।

इस सूरत में जिन लोगों ने 900 रुपये में मुकुल ऑटो के शेयर खरीदे होंगे, उन्हें सीधे 500 रुपये का नुकसान होगा। लेकिन, ये पांच सौ रुपये उस शख्स को नहीं मिलेंगे, जिसने शेयर को 900 रुपये में बेचा होगा। क्योंकि हो सकता है कि उसने खुद ही शेयर 850 रुपये में खरीदा हो और 900 में बेचा हो। इसका मतलब है कि वे 500 रुपये डूब गए, खाक हो गए, स्वाहा हो गए।

हालांकि, अगर मुकुल ऑटो के शेयर के दाम दोबारा बढ़ते हैं और 900 के पार पहुंच जाते हैं, तो जो भी मुनाफा होगा, वो आपका अपना होगा।

कैसे काम करता है शेयर मार्केट

शेयर मार्केट पूरी तरह से डिमांड-सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है। जिस शेयर की डिमांड अधिक रहेगी, उसका भाव बढ़ेगा। जिसकी कम रहेगा, उसका दाम घटेगा। इस चीज को आप किसी सब्जी के उदाहरण से भी समझ सकते हैं। मान लीजिए कि आपने प्याज का व्यापार शुरू किया। उस साल बेमौसम बारिश से प्याज की फसल खराब हो गई। मार्केट में डिमांड बढ़ गई और भाव 100 रुपये किलो तक पहुंच गया।

अब आपको लगा कि प्याज की किल्लत बरकरार रहेगी और भाव बढ़ता रहेगा, तो आपने मुनाफा कमाने के लिए 100 रुपये किलो के हिसाब से प्याज का स्टॉक भर लिया। लेकिन, फिर सरकार ने विदेश से सस्ता प्याज आयात कर लिया और भाव एकदम से गिरकर 40 रुपये किलो पर आ गया। अब आपने प्याज तो 100 रुपये किलो पर खरीदा है, लेकिन भाव 40 रुपये किलो है। ऐसे में आपके प्रति किलो के हिसाब से 60 रुपये डूब गए। लेकिन, उसका फायदा किसी को नहीं मिला। 

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