वीरू को आराम देना सही फैसला
[वेंगसरकर का कॉलम] मौजूदा सीरीज में भारतीय खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई टीम पर पूरी तरह हावी हैं, लेकिन यह बात हैरान करने वाली नहीं है क्योंकि मेहमान टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी अनुभवहीन है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कई टेस्ट मैच खेलने और उनकी कई टीमों को खेलते देखने के बाद मुझे जो बात हैरान कर रही है, वह है टीम में लड़ने की इच्छाशक्ति की कमी और खराब रणनीति। ऑस्ट्रेलिया ने जो रणनीति अपनाई है वह नाकाम रही है।
[वेंगसरकर का कॉलम] मौजूदा सीरीज में भारतीय खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई टीम पर पूरी तरह हावी हैं, लेकिन यह बात हैरान करने वाली नहीं है क्योंकि मेहमान टीम की बल्लेबाजी और गेंदबाजी अनुभवहीन है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कई टेस्ट मैच खेलने और उनकी कई टीमों को खेलते देखने के बाद मुझे जो बात हैरान कर रही है, वह है टीम में लड़ने की इच्छाशक्ति की कमी और खराब रणनीति। ऑस्ट्रेलिया ने जो रणनीति अपनाई है वह नाकाम रही है।
सिर्फ कप्तान माइकल क्लार्क ही अच्छा कर सके हैं। दुर्भाग्य की बात है कि उनका प्रदर्शन और कप्तानी दूसरे खिलाडि़यों को प्रेरित करने में नाकाम रही है। किसी भी मेहमान टीम का कप्तान होना काफी मुश्किल हो जाता है। अगर आपकी टीम दिमाग में ही मैच हार गई हो तो यह और मुश्किल हो जाता है। ऑस्ट्रेलिया ने दोनों मैचों में टॉस जीता। वह दोनों बार ही इसका फायदा नहीं उठा पाई। हैदराबाद में चौथे दिन जिस तरह ऑस्ट्रेलियाई पारी सिमटी, उससे यह सवाल उठा कि क्या यह भारत दौरे पर आने वाली सबसे कमजोर ऑस्ट्रेलियाई टीम है। दूसरी ओर, भारतीय टीम लंबे संघर्ष के बाद लय में आई है। कप्तान धौनी ने अब तक शानदार प्रदर्शन किया है। युवा भी अपने कप्तान की अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं। वीरेंद्र सहवाग से काफी उम्मीदें की जा रही थीं, लेकिन वह फॉर्म में नहीं दिखे। चयनकर्ताओं ने उन्हें आराम देकर सही फैसला किया है। इससे रहाणे या धवन को ओपनिंग करने का मौका मिलेगा। दोनों ही अच्छे खिलाड़ी हैं। जहां रहाणे का डिफेंस और तकनीक अच्छी है, वहीं धवन हाथों और आंखों के बेहतर तालमेल से शॉट लगाते हैं। उनका खेल इसी पर निर्भर है। अब यह टीम मैनेजमेंट पर है कि किसे मौका मिलता है। [360 कार्पोरेट रिलेशंस]