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'20 साल पहले टी20 होता, तो आज उसमें भी सचिन होते महानतम'

जब सचिन रमेश तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर का आगाज किया था तब शायद ही किसी ने सोचा भी था कि आने वाले समय में टी20 नाम का भी कोई धुआंधार फॉर्मेट सुर्खियां बटोरेगा। भारतीय टीम में सचिन के पूर्व साथी और मास्टर ब्लास्टर के आगाज के गवाह संजय मांजरेकर का मानना है कि अगर सचिन के क्रिकेट करियर के शुरू होने के समय टी20 क्रिकेट मौजूद होता तो आज इस तेज तर्रार प्रारूप में भी वह सारे रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके होते और इस प्रारूप के भी महानतम खिलाड़ी बन गए होते।

By Edited By: Updated: Sat, 21 Sep 2013 05:36 PM (IST)

नई दिल्ली। 1989 में जब सचिन रमेश तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर का आगाज किया था तब शायद ही किसी ने सोचा भी था कि आने वाले समय में टी20 नाम का भी कोई धुआंधार फॉर्मेट सुर्खियां बटोरेगा। भारतीय टीम में सचिन के पूर्व साथी और मास्टर ब्लास्टर के आगाज के गवाह संजय मांजरेकर का मानना है कि अगर सचिन के क्रिकेट करियर के शुरू होने के समय टी20 क्रिकेट मौजूद होता तो आज इस तेज तर्रार प्रारूप में भी वह सारे रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके होते और इस प्रारूप के भी महानतम खिलाड़ी बन गए होते।

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सचिन चैंपियंस लीग टी20 के जरिए आखिरी बार क्रिकेट के मैदान पर रंगीन कपड़ों में उतरने को तैयार हैं और करोड़ों फैंस आखिरी बार उन्हें इस रूप में देखने को बेताब..यह सच है कि सचिन टी20 के किसी भी स्तर पर वह नाम नहीं कमा सके जो क्रिकेट के शीर्ष स्तर पर उन्होंने आज तक कमाया है लेकिन मांजरेकर ने अपने एक बयान में इसको दूसरे ढंग से पेश करते हुए कहा, 'मैं कई बार यह सोचता हूं कि अगर टी20 तब आया होता जब सचिन 18 के थे, तब शायद इस फॉर्मेट में भी आज वह महानतम होते। मैंने उन्हें (सचिन) 14 की उम्र से देखा है, तब सिंगल और डबल विकेट खेल हुआ करता था जिसमें छह खिलाड़ी एक टीम में होते थे। उस दौरान भी सचिन गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिया करते थे। उस समय 8-9 के रन रेट से रन बनाना एक अद्भुत बात मानी जाती थी। मुझे लगता है कि दुनिया उनके उस रूप को देखने से महरूम रह गई, और अब उनकी उम्र और फिटनेस इसकी इजाजत नहीं देती।'

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सचिन के नाम छह आइपीएल सीजन में तकरीबन 2300 रन दर्ज हैं लेकिन 120 का उनका स्ट्राइक रेट शायद टी20 क्रिकेट के मौजूदा दृष्य के हिसाब से ज्यादा नहीं नजर आता। मांजरेकर के मुताबिक बेशक सचिन आज टी20 में अपनी टीम के सबसे अहम खिलाड़ियों में से ना हों लेकिन उनका ड्रेसिंग रूम में होना भर प्रेरणादायी है और मुंबई इंडियंस टीम मैनेजमेंट के लिए सचिन की बल्लेबाजी से ज्यादा उन्हें अपने ड्रेसिंग रूम में रखना ज्यादा अहम है क्योंकि युवा खिलाड़ी इस दिग्गज के सामने अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होते रहते हैं।

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