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धवन की उड़ान..क्या यही है वीरू या गंभीर के करियर का अंत?

कहते हैं कि हर सफर की एक मंजिल होती है और हर रास्ते का एक अंत..खेल भी उसी सफर की ही तरह है जहां बादशाहत, जलवा, फिटनेस, और फॉर्म जैसी चीजें आती तो हैं लेकिन हमेशा केलिए नहीं ठहरती। भारतीय क्रिकेट में हमनें कई दिग्गजों को विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ते हुए देखा और उसी सफर में दिल्ली के वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर भी एक थे..जी हां, 'थे'..इस शब्द का प्रयोग पता नहीं कितने क्रिकेट फैंस को सही लगेगा लेकिन मौजूदा समय में शिखर धवन ने जिस अंदाज में अंतरराष्ट्रीय क्रिके

By Edited By: Updated: Tue, 13 Aug 2013 01:54 PM (IST)
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(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। कहते हैं कि हर सफर की एक मंजिल होती है और हर रास्ते का एक अंत..खेल भी उसी सफर की ही तरह है जहां बादशाहत, जलवा, फिटनेस, और फॉर्म जैसी चीजें आती तो हैं लेकिन हमेशा केलिए नहीं ठहरती। भारतीय क्रिकेट में हमनें कई दिग्गजों को विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ते हुए देखा और उसी सफर में दिल्ली के वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर भी एक थे..जी हां, 'थे'..इस शब्द का प्रयोग पता नहीं कितने क्रिकेट फैंस को सही लगेगा लेकिन मौजूदा समय में शिखर धवन ने जिस अंदाज में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर धूम मचाई है उससे एक बड़ा सवाल अब सामने है कि, क्या यही है सहवाग और गंभीर के करियर का अंत? अभ्यास मैचों व कुछ घरेलू मैचों में गंभीर के फॉर्म और उनकी उम्र को देखते हुए शायद उन्हें दोबारा मौका मिल भी जाए लेकिन सहवाग की वापसी अब मुश्किल ही नजर आ रही है। इनमें से एक को धवन बाएं हाथ के बल्लेबाज (गंभीर) के रूप में चुनौती दे रहे हैं जबकि दूसरे (वीरू) को आक्रामकता के लिहाज से।

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यह सही है कि 34 वर्षीय वीरेंद्र सहवाग और 31 वर्षीय गौतम गंभीर उम्र के इस पड़ाव में भी अपने अनुभव और हुनर के दम पर वापसी करके अपने करियर के अंतिम कुछ सालों को एक बेहतरीन रूप दे सकते हैं लेकिन यह सच है कि भारतीय क्रिकेट में हर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर नहीं हो पाता और हर क्रिकेटर को सचिन की तरह मौके भी नहीं मिलते रहते। महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने जो युवा रूप अख्तियार किया है उसकी आदत अब फैंस को भी हो चुकी है और धौनी भी इसको लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहते, टीम से आज सचिन, लक्ष्मण, द्रविड़, गांगुली, सहवाग, युवराज, गंभीर, हरभजन और जहीर जैसे दिग्गज नदारद हैं लेकिन फिर भी हमनें विदेश में तीन बड़े खिताब जीतकर इतिहास रचा है..फैंस के लिए अपने स्टार्स को लेकर भावनाएं माएने जरूर रखती हैं लेकिन यह हकीकत है कि जब देश जीत के अभियान पर हो तो इन बातों को नजरअंदाज करने में फैंस जरा भी देर नहीं लगाते।

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वीरू के नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में तकरीबन 16000 रन, टेस्ट और वनडे के सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर व 38 शतक दर्ज हैं लेकिन पिछली तकरीबन 40 टेस्ट पारियों में उनके नाम सिर्फ एक शतक मौजूद है जबकि पिछले दस वनडे मैचों में भी वह कोई बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे। उधर, दूसरी तरफ गौतम गंभीर हैं, जिन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में तकरीबन 10 हजार रन बनाए हैं जिसमें 20 शतक भी शामिल हैं लेकिन पिछली 45 टेस्ट पारियों में उनके बल्ले से कोई शतक नहीं निकला, जबकि वनडे में जुलाई 2012 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे मैच में लगाए गए शतक के बाद वह इस प्रारूप में भी कोई बड़ा धमाल नहीं कर पाए। उनको टीम से बाहर करने की वजह सिर्फ खराब फॉर्म नहीं था, बल्कि कारण यह भी था कि बाहर एक लंबी चौड़ी हुनरमंद खिलाड़ियों की फौज अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। शिखर धवन बाएं हाथ के होने के कारण गंभीर की जगह के लिए उपयुक्त नजर आते हैं जबकि सहवाग के आक्रामक खेल की कमी को पूरी करना के लिए वह वीरू के विकल्प पर भी बिल्कुल फिट बैठते हैं।

अब जब ओपनिंग स्लॉट पर शिखर धवन, रोहित शर्मा, मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा जैसे तमाम खिलाड़ी फॉर्म में होने के बावजूद अपनी जगह बरकरार रखने के लिए जद्दोजहद में जुटे हों तो ऐसे में दो आउट ऑफ फॉर्म खिलाड़ियों को मौका कैसे दिया जा सकेगा। अभी तक कयास लगाए जा रहे थे कि शायद दक्षिण अफ्रीका दौरे पर अनुभव को नजर में रखते हुए टीम में वीरू और गंभीर की वापसी हो जाए लेकिन शिखर धवन के दक्षिण अफ्रीकी पिचों पर भी जलवा बिखेरने से अब इन बातों पर भी विराम लग गया। गंभीर को तो शायद उनकी उम्र और घरेलू क्रिकेट में फॉर्म को देखते हुए दोबारा मौका मिल भी जाए लेकिन सहवाग के लिए राह अब आसान नहीं होने वाली।

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