श्रीनिवासन और अध्यक्ष पद की कुर्सी के बीच खड़ा सुप्रीम कोर्ट
अगर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के निर्वासित अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन की राह नहीं रोकी तो वह अगले एक साल के लिए फिर से अध्यक्ष पद की कुर्सी पर विराजमान होंगे।
By Edited By: Updated: Thu, 26 Sep 2013 09:13 PM (IST)
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। अगर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के निर्वासित अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन की राह नहीं रोकी तो वह अगले एक साल के लिए फिर से अध्यक्ष पद की कुर्सी पर विराजमान होंगे।
पढ़ें: श्रीनिवासन को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका श्रीनिवासन गुट के एक अहम सदस्य ने कहा कि 29 सितंबर को चेन्नई में होने वाली बोर्ड की आम सभा के दौरान होने वाले चुनाव के लिए सभी बाधाओं को दूर कर लिया गया है। बीसीसीआइ के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि श्रीनिवासन के खिलाफ लड़ने वाला कोई दूसरा प्रतिद्वंद्वी ही नहीं है। अगर कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला किया तो अध्यक्ष पद पर चुनाव की स्थिति ही नहीं होगी। सचिव पद के लिए वडोदरा क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव और बीसीसीआइ के कार्यकारी सचिव संजय पटेल ने इच्छा जताई है। श्रीनिवासन गुट ने कहा कि कोशिश की जाएगी कि चुनाव लड़ने की स्थिति न आए और सभी राज्य संघ आपस में मिलकर सभी पदों पर नियुक्ति कर लें। श्रीनिवासन ने दक्षिणी किले को पहले ही फतह कर लिया है। बोर्ड के नियमों के अनुसार अध्यक्ष पद पर दो साल के कार्यकाल के बाद एक साल और पद पर रहा जा सकता है। बीसीसीआइ के संविधान के मुताबिक इस बार अध्यक्ष पद के लिए दक्षिण जोन का नंबर है और वही चुनाव लड़ सकता है जो दक्षिण जोन से आता हो या उस जोन का कोई एक राज्य संघ उसका नाम प्रस्तावित करे। श्रीनिवासन दक्षिण जोन के ही तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीसीए) के अध्यक्ष हैं और इस जोन में आने वाले बाकी पांच खेल संघ भी उनके समर्थन में हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ, दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ और बंगाल क्रिकेट संघ का भी उन्हें समर्थन प्राप्त है।
श्रीनिवासन का रास्ता अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट रोक सकता है क्योंकि बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) ने उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के लिए याचिका लगाई जिस पर आज सुनवाई होगी। इससे पहले श्रीनिवासन विरोधियों ने शशांक मनोहर को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ाने की कमर कसी थी लेकिन दक्षिण जोन के किसी संघ का समर्थन नहीं मिल पाने के कारण वह अब तक चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं हैं।
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