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निलंबित प्राचार्य के खिलाफ एफआइआर

By Edited By: Updated: Fri, 18 Oct 2013 02:55 AM (IST)
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : अंबेडकर कॉलेज की पूर्व लैब अटेंडेंट पवित्रा भारद्वाज के मामले में पुलिस ने बुधवार को निलंबित प्राचार्य डॉ. जीके अरोड़ा के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया है। अब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। डीसीपी मध्य जिला आलोक कुमार के मुताबिक, पहले मामले की जांच की जाएगी, जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।

कुछ दिन पहले इसी मामले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्राचार्य को निलंबित भी कर दिया था। इस मसले पर पवित्रा के दिल्ली पुलिस में हवलदार पति धर्मेद्र भारद्वाज, पवित्रा को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे डीयू के विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसर, छात्र संगठन व विभिन्न एसोसिएशनों के पदाधिकारियों का कहना है कि प्राचार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाने से पवित्रा को पहला न्याय मिल गया है।

आंदोलन से जुड़े प्रोफेसरों का आरोप है कि प्राचार्य डॉ. जीके अरोड़ा की मुख्यमंत्री से नजदीकी हैं, जिस वजह से वे कानून की गिरफ्त में आने से बचते रहे। पवित्रा स्थानीय ज्योति नगर थाने से लेकर पुलिस के सभी आला अधिकारी, डीयू प्रशासन, अंबेडकर कॉलेज, राष्ट्रीय व दिल्ली महिला आयोग सहित कई संबंधित विभागों में निलंबित प्राचार्य डॉ. जीके अरोड़ा व अपर डिविजनल क्लर्क रविंदर सिंह के खिलाफ छेड़छाड़ करने व यौन शोषण की कोशिश करने की 150 शिकायतें कर चुकी थीं। जब कहीं से भी उन्हें न्याय नहीं मिला, तब बीते 30 सितंबर को वे कुछ उम्मीद लेकर अंतिम शिकायत मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से करने सचिवालय पहुंची थीं। वहां सुरक्षाकर्मियों ने जब उन्हें मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया तब उन्होंने प्लेयर्स बिल्डिंग स्थित गेट नंबर 6 के बाहर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली थी। उस दौरान आइपी एस्टेट थाना पुलिस ने पवित्रा के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया था। उनके पास सुसाइड नोट भी मिला था। अस्पताल में मरने से पूर्व 1 अक्टूबर को पवित्रा का एसडीएम के समक्ष भी बयान दर्ज कर लिया गया था। इसमें उन्होंने प्राचार्य के खिलाफ बयान दिया था। बावजूद इसके उनकी 7 अक्टूबर को मौत हो गई, तब भी पुलिस ने प्राचार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया।

पुलिस को खानी पड़ी मुंह की

पवित्रा की मौत होने पर 7 अक्टूबर को ही संयुक्त पुलिस आयुक्त मध्य रेंज संदीप गोयल का कहना था कि मामले में प्राचार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा। उन्होंने तर्क दिया था कि पवित्रा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है। लेकिन जब डीयू के कॉलेजों में आंदोलन शुरू हो गया और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे, तब पुलिस ने अपने बयान से यू टर्न लेते हुए बुधवार को मुकदमा दर्ज कर दिया। बताया जाता है कि जब आंदोलन तेज होने लगा, तब दबाव में आकर डीयू ने भी प्राचार्य को निलंबित कर दिया। इसके बाद मंगलवार को संदीप गोयल ने विशेष पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था दीपक मिश्रा से विचार-विमर्श किया। उसके बाद दीपक मिश्रा ने पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी से मिलकर उन्हें इस मसले से अवगत कराया। इसके बाद बस्सी के निर्देश पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

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