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आंकड़ों की परवाह नहीं, दर्ज होंगे मामले

By Edited By: Updated: Sat, 04 Jan 2014 02:59 AM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी में अपराध के आंकड़ों की दिल्ली पुलिस को अब चिंता नहीं। नए साल में उसकी मंशा अपराध के आंकड़ों पर गौर करने की बजाय अपराधियों पर नकेल कसने की है। सड़कों पर नागरिक भयमुक्त होकर चलें, महिलाएं हर जगह सुरक्षित महसूस करें और पुलिस कार्रवाई से अपराधियों के दिल और दिमाग में खौफ कायम हो सके, पुलिस कुछ इसी अंदाज में काम करती नजर आएगी।

शुक्रवार को पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने अपनी वार्षिक प्रेसवार्ता में 'ब्रोकन विंडो' सिद्धांत का हवाला देते हुए ऐलान किया कि जुर्म असहनीय है। जुर्म करने वालों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। अपराध दर्ज होंगे, तभी अपराधी पकड़े जाएंगे।

इंडिया हेबिटेट सेंटर में आयोजित पूरी प्रेसवार्ता के दौरान बीएस बस्सी पूरी लय में थे। दिल्ली पुलिस को जनमित्र की भूमिका में लाने से लेकर महिला, बुजुर्ग और बच्चों की सुरक्षा समेत शहर में घटित हर उस घटना को उन्होंने महकमे की बड़ी चुनौती करार दिया, जिससे आम लोगों में भय पैदा होता है।

इसे समाप्त करने के लिए उन्होंने पुलिस अधिकारियों को शहर में संशोधित गश्त प्रणाली चार्ट भी लागू करने को कहा। जिसमें अपराध संभावित स्थानों का चयन कर वहां पर्याप्त पुलिस बंदोबस्त करने की बात शामिल हो।

वर्तमान पुलिसिया व्यवहार पर चुटकी लेते हुए आयुक्त ने कहा कि कोई आम और खास नही है। कानून के दायरे में आया हर एक नागरिक महत्वपूर्ण है। शिकायत लेकर थाने आए किसी व्यक्ति को बिना एफआइआर दर्ज किए वापस नहीं किया जाएगा। जो भी मामला दर्ज करने लायक होगा, उसे दर्ज किया जाएगा।

समाज हमें और हम समाज को समझें

दिल्ली पुलिस समाज के बीच जाकर काम करेगी। पुलिस को लोगों के करीब लाने के लिए नेबरहुड वॉच स्कीम को नए रूप में लागू करने के आदेश दिए गए हैं। पुलिस आयुक्त ने कहा कि नंद नगरी, सुंदर नगरी, उत्तम नगर, अंबेडकर नगर, जहांगीरपुरी तथा संगम विहार जैसे इलाकों में नागरिकों से मेलजोल बढ़ाने पर जोर रहेगा। समाज और पुलिस एकदूसरे के नजदीक आएंगे तो अपराध पर भी अंकुश लगेगा।

दुष्कर्म मामलों में 20 दिन में चार्जशीट

दिल्ली पुलिस अब महिलाओं से दुष्कर्म के मामलों में बीस दिन अंदर आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट पेश करेगी। पुलिस आयुक्त ने इस संबंध में आदेश जारी किया। जिसमें कहा गया है कि पीड़ित को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए जांच की गति बढ़ानी होगी। जिन मामलों में 20 दिन में चार्जशीट पेश नहीं होगी, उसकी वजह संयुक्त आयुक्त को बताई जाएगी।

प्रशिक्षण पर रहेगा जोर

दिल्ली पुलिस के सभी कर्मचारियों के लिए नए साल में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं जाएंगे। पुलिस उपायुक्त से लेकर संयुक्त आयुक्त और विशेष आयुक्त स्तर के अधिकारियों भी प्रशिक्षण के दौरान नई तकनीक और कानून में संशोधन की जानकारी प्रदान की जाएगी। इसके लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस ट्रेनिंग खोला जाएगा। बीते साल 2714 जवानों को बेसिक ट्रेनिंग दी थी। 13546 जवानों को शार्ट टर्म स्पेसलाइज्ड कोर्स कराए गए थे।

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क्या है ब्रोकन विंडो सिद्धांत

अस्सी के दशक में अमेरिका में जेम्स विल्सन और जार्ज कीलिंग ने अमेरिका के लोगों के आपराधिक आचरण का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि शहरों में अपराध की बड़ी वजह ब्रोकन विंडो की मौजूदगी है। टूटी खिड़की बताती है कि यहां पहले भी अपराध हुए हैं और दोबारा अपराध करके लोग बच सकते हैं। अपराध की एक टूटी खिड़की दूसरे किस्म के अपराध के लिए भी प्रेरित करती है। मसलन सड़क पर नियम तोड़ने वाला दूसरों के लिए टूटी हुई खिड़की बन जाता है। लोग उसका अनुसरण करने लगते हैं। समाज में व्यवस्था और अपराध में गहरा नाता है।

ये हैं प्राथमिकताएं

-पुलिस को जनमित्र तथा उत्तरदायी बनाना

-सभी मामले दर्ज करने पर जोर

-महिला, बच्चों व बुजुर्गो की सुरक्षा

-स्ट्रीट क्राइम पर अंकुश, अपराधियों को मुंहतोड़ जवाब

-अपराध नियंत्रण में समाज की सहभागिता

-आतंकी घटनाओं को रोकने के उपाय

-यातायात संचालन व सड़क सुरक्षा

-गुमशुदा बच्चों की तलाश में विशेष प्रयास

ये हैं चुनौतियां

बच्चों के साथ होने वाले अपराध

गुमशुदा बच्चों की तलाश और उनके साथ होने वाले अपराध को रोकना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है। वर्ष 2012 में बच्चों की गुमशुदगी के 3503 मामलों का आंकड़ा वर्ष 2013 में 5565 तक पहुंच गया है। पुलिस इनमें से महज 965 बच्चों को बरामद कर पाई। पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने सभी थानों में बच्चों से जुड़े मामलों को विशेष तवज्जो देने के निर्देश जारी किए हैं। हर थाने में नाबालिगों के मामलों की जांच के लिए दो पुलिस अधिकारी तैनात किए गए हैं। बच्चों की बरामदगी के लिए पुलिस ने साल भर में 198 अभियान चलाए। पॉक्सो एक्ट के तहत 132 मुकदमे दर्ज हुए।

हथियार तस्करों पर लगाम

राजधानी में अवैध हथियारों की तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं। बिहार के मुंगेर के अलावा मध्य प्रदेश से हो रही हथियार तस्करी को रोकना पुलिस के लिए चुनौती साबित हो रहा है। वर्ष 2012 में 788 हथियारों की बरामदगी की तुलना में वर्ष 2013 में 688 हथियार तथा 487 धारदार हथियार बरामद किए गए। पुलिस आयुक्त ने जिला पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल को भी तस्करों की धरपकड़ में तेजी के निर्देश दिए हैं।

ड्रग्स तस्करी पर नजर

ड्रग तस्करी के नए रास्ते ईजाद किए जा रहे हैं। वर्ष 2013 में दिल्ली पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के 435 मामलों में 536 लोगों को गिरफ्तार किया। तस्कर दिल्ली को ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। पुलिस आयुक्त ने हिदायत दी है कि सभी यूनिटों को ड्रग तस्करी पर ध्यान केंद्रित करना है।

बुजुर्गो का रखना होगा ध्यान

बुजुगरें की सुरक्षा को भी पुलिस ने चुनौती के रूप में शामिल किया है। बुजुर्ग नागरिकों को परिचय पत्र देने से लेकर उनके घर जाकर हालचाल लेने की प्रक्रिया जारी है। इसमें स्वयंसेवी संस्थाओं व आरडब्ल्यूए का भी सहयोग लिया जाएगा।

पुलिस रिकार्ड में दर्ज बुजुर्ग नागरिक- 18574

इस साल दर्ज किए गए-3621

घर जाकर हुई सुरक्षा जांच- 17388

परिचय पत्र वितरित-15747

उपलब्धियां

मामले सुलझे

वारदात-वर्ष 2012- वर्ष 2013

हत्या का प्रयास- 395- 505

लूटपाट-510-838

दंगे- 63-83

दुष्कर्म-623-1398

झपटमारी-991-1568

छेड़छाड़- 616-2905

अपहरण- 2646-3764

वर्ष 2013 में

63- इनामी बदमाश गिरफ्तार

30- कुख्यात गिरोह गिरफ्तार

8- अपराधी मुठभेड़ में ढेर

11- आतंकवादी पकड़े। लश्कर आतंकी अब्दुल करीम टुंडा भी शामिल।

536-ड्रग तस्कर पकड़े गए

46,714 लोग गिरफ्तार किए गए। वर्ष 2012 में पुलिस ने 37,282 लोगों को पकड़ा था।

अपराधियों का ऑनलाइन रिकार्ड

पुलिस के पास ढाई लाख से अधिक अपराधियों का डाटा ऑन लाइन रिकार्ड है। एएफपीआइएस (ऑटोमेटेड फिंगर एंड पॉल्म पि्रंट आइडेंटीफिकेशन सिस्टम) तथा क्रिस (क्राइम रिमोट आइडेंटीफिकेशन सिस्टम) की मदद से अपराधी पकड़े जा रहे हैं। पुलिस ने 6977 अपराधियों को इस तकनीक की मदद से गिरफ्तार किया। वारदात के बाद 42 अपराधी पुलिस में दर्ज रिकार्ड के आधार पर पकड़े गए।

दूर होगी आवास की समस्या

दिल्ली पुलिस के पास 15646 सरकारी आवास हैं। 80 हजार की पुलिस बल में यह महज 18.50 फीसद है। धीरपुर में पुलिस हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद 26.45 फीसद लोगों को आवास की सुविधा उपलब्ध होगी। पुलिस आयुक्त के अनुसार हर पुलिसकर्मी को सरकारी आवास मिले, इस दिशा में काम चल रहा है।

इन सवालों का जवाब टाल गए पुलिस आयुक्त

1-मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुरक्षा देने के सवाल पर पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने कहा कि पुलिस की हर स्थिति पर नजर है। सुरक्षा देने के पीछे महत्वपूर्ण पद, जान को खतरा तथा पुलिस की रिपोर्ट होती है। इसका अध्ययन कर जरूरी कदम उठा रहे हैं।

2-मुख्यमंत्री और पुलिस आयुक्त के अभी तक रहे तल्ख रिश्तों के सवाल पर भीमसेन बस्सी ने कहा कि हम शहर के लोगों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं। लोगों की भलाई के काम में हमें यदि मुख्यमंत्री से कोई लाभ मिलेगा तो जरूर लेंगे।

3-आम आदमी पार्टी और दिल्ली पुलिस के बीच तालमेल पर पुलिस आयुक्त ने सीधा जवाब दिए बिना कहा कि पुलिस कानून व्यवस्था के लिए है। शहर का हर नागरिक सुरक्षित रहे यही हमारी प्राथमिकता है।

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