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'अतार्किक है डीयू में स्थानीय छात्रों को 90 फीसद आरक्षण'

By Edited By: Updated: Fri, 10 Jan 2014 03:51 AM (IST)

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के राज्य सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में 90 फीसद दिल्ली के छात्रों को प्रवेश देने की घोषणा के बाद डीयू के छात्रों में आक्रोश है। दिल्ली और दिल्ली से बाहर के छात्रों ने इसे अतार्किक और विघटनकारी बताया है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की अध्यक्ष डा. नंदिता नारायण का कहना है कि सरकार को नए संस्थान बनाने चाहिए और शिक्षा की बेहतरी के लिए प्रयास करने चाहिए। डूटा अध्यक्ष का कहना है कि डीयू केंद्रीय विश्वविद्यालय है और इसमें पढ़ना पूरे भारत के बच्चों का अधिकार है। ऐसे में यदि एक राजनीतिक दल यह बात कहता है कि तो यह दुखद है। डीयू के छात्रसंघ अध्यक्ष अमन अवाना का कहना है कि दिल्ली देश की राजधानी भी है। ऐसे में यह कहना कि यहां 90 फीसद सीटों पर केवल दिल्ली के छात्रों को ही प्रवेश मिलेगा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हम नए कॉलेज खोलने के पक्ष में हैं और सरकार को छात्रों की बढ़ती संख्या के अनुसार नए कॉलेज खोलने चाहिए। अवाना के अनुसार दिल्ली के छात्रों को प्रवेश में 90 फीसद आरक्षण देना सही नहीं है। उनका कहना है कि बेहतर शिक्षा सबका अधिकार है और डीयू में छात्र अपनी योग्यता से प्रवेश लेता है।

डीयू के विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं की प्रतिक्रिया-

कॉलेजों की संख्या बढे़

डीयू केंद्रीय विश्वविद्यालय है और यहां पढ़ने के लिए छात्रों में कड़ी प्रतिस्पर्धा है। यह सच है कि डीयू में बाहर के छात्रों की संख्या अधिक है लेकिन सभी भारत के नागरिक हैं। कालेजों की संख्या बढ़ाने के बजाए केवल दिल्ली के छात्रों को प्राथमिकता देना अलोकतांत्रिक सोच है।

अल्का त्रिपाठी, रामजस कॉलेज

हतोत्साहित करने वाला निर्णय

मैं दिल्ली से बाहर का हूं। यदि 90 फीसद सीटें दिल्ली के छात्रों के लिए होंगी तो मेरे जैसे हजारों छात्रों के लिए डीयू में पढ़ना सपने जैसा ही होगा। राज्य सरकार का यह कदम निंदनीय और छात्रों को हतोत्साहित करने वाला है।

भारत देवासी खटाना, अरबिंदो कॉलेज

छात्रों के बीच बढ़ेगा भेदभाव

देश को विभाजित करने वाले लोग ऐसा निर्णय ले रहे हैं। मैं असम से हूं तो क्या मैं डीयू में नहीं पढ़ सकता। यदि सभी राज्य इस तरह के निर्णय लेने लगें तो मनीष सिसोदिया और राज ठाकरे में क्या अंतर रह जाएगा। ऐसे निर्णय छात्रों के बीच भेदभाव को बढ़ाने वाले हैं।

देब बरुन बरुआ, लॉ फैकल्टी

केवल दिल्ली के लोगों का अधिकार नहीं

देश की राजधानी में प्रत्येक राज्य से आए लोग पढ़ सकते हैं। यह अधिकार केवल दिल्ली के लोगों का ही नहीं है। देश में बहुत से ऐसे राज्य हैं जहां पढ़ाई की बेहतर सुविधा नहीं है, इसलिए लोग यहां प्रवेश के लिए आते हैं।

राहुल राज आर्यन, एसजीटीबी खालसा

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