डीयू के कुलपति का बढ़ सकता है कार्यकाल
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति का कार्यकाल बढ़ सकता है। कुलपति कार्यावधि पूरी होने के बाद फिर से आवेदन करने के साथ सर्च कमेटी में कार्यकारी समिति के दो सदस्यों को भी नियुक्त कर सकता है। इस संबंध में कार्यकारी समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है। बैठक में इस निर्णय के संबंध में चार लोगों ने असहमति भी जताई थी। हालांकि इस फैसले पर अंतिम निर्णय कुलाधिपति के निर्णय के बाद ही होगा।
कार्यकारी समिति की सदस्य आभा देब हबीब ने कहा, 'मैं कुलपति के कार्यकाल बढ़ने का विरोध करती हूं। मैंने विपक्ष में ही वोट डाला है। एक कार्यकाल किसी कुलपति के लिए बहुत है। 43 केंद्रीय विश्वविद्यालय में महज सात विश्वविद्यालयों में यह व्यवस्था थी, अब डीयू ऐसा आठवां विश्वविद्यालय होगा।'
शिक्षक संगठन एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष और कार्यकारी समिति के सदस्य आदित्य नारायण मिश्रा ने बताया कि उन्होंने भी समिति के निर्णय का विरोध किया था। कुलपति के लिए पांच साल का कार्यकाल बहुत है। दोबारा आवेदन करने से अच्छा संदेश नहीं जाएगा। उन्होंने शिक्षकों के लिए बनाए गए नियमों का भी विरोध किया है। उनका कहना है कि नियम अनैतिक हैं और इससे कुलपति व शिक्षकों के बीच संबंध खराब होंगे।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि यह डीयू के इतिहास में काला दिन है। समिति का यह निर्णय उन शिक्षकों के मन में भय पैदा करने वाला है, जो कुलपति की नीतियों का विरोध करते हैं।