डीयू में पाठ्यक्रम प्रारूप पर लगी वैधानिक मुहर
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली :
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में सोमवार से शुरू होने वाले सत्र से पहले तीन वर्षीय पाठ्यक्रम पर विद्वत परिषद (एसी) और कार्यकारी समिति (ईसी) ने वैधानिक मुहर लगा दी है। हालांकि, कुछ सदस्यों ने इस पर विरोध भी जताया।
क्लस्टर एजुकेशन सेंटर द्वारा चलाया जाने वाला बीटेक ह्युमैनिटीज का नाम बदलकर अब बीए ऑनर्स (ह्युमैनिटीज एंड सोशल साइंस) कर दिया गया है। अब यह कोर्स तीन वर्ष का होगा। जबकि बीटेक मैथमेटिकल एंड आइटी को बीटेक (आइटी एंड मैथमेटिकल इनोवेशन) कर दिया गया है, यह कोर्स चार वर्ष का ही होगा। मास्टर (मैथमेटिकल एजुकेशन) को अब एमएससी (मैथमेटिकल एजुकेशन) कर दिया गया है। यह मेटा यूनिवर्सिटी के तहत चलने वाला दो वर्षीय पाठ्यक्रम है जो जामिया के साथ चलता है। मेटा कालेज पहले जैसा ही होगा।
कॉमर्स विषय के तहत दो कोर्सो एमआइबी कोर्स का नाम बदलकर एमबीए (इंटरनेशनल बिजनेस) तथा एमएचआरओडी का नया नाम एमबीए (ह्यूमन रिसोर्स एंड ऑर्गनाइजेशनल डेवलेपमेंट) कर दिया गया है। इसके साथ ही एमएससी फाइनांस मैनेजमेंट का नाम बदलकर एमबीए फाइनांस मैनेजमेंट कर दिया गया है। 21 जून को समिति में इसका विरोध हुआ था और इसका नाम नहीं बदला गया था। हालांकि कामर्स के विभागाध्यक्ष प्रो. जेपी शर्मा ने यह तर्क दिया था कि यह यूजीसी के नियमों के आधार पर किया जा रहा है। लेकिन एसी की बैठक में डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के सदस्यों की असहमति के बाद इस पर अंतिम मुहर लग गई। ऐसा माना जा रहा है कि लगातार यूजीसी द्वारा कोर्स के नाम और समयावधि को लेकर आए राजपत्र के बाद इसके नाम पर अंतिम मुहर लग पाई है। एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलेपमेंट के प्रवक्ता डॉ. राजेश झा ने बताया कि पाठ्यक्रम के प्रारूप में तत्कालीन रूप से जो बदलाव हुए हैं उससे कई कॉलेजों में कोर्स घटे हैं और शिक्षकों के हित प्रभावित हुए हैं। हमारा विरोध इसे लेकर ही था।