यूजीसी ने तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति के दिए आदेश
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) प्रशासन को दरकिनार कर उससे संबद्ध कॉलेजों के प्रिंसिपलों को पत्र लिखकर तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं। यूजीसी ने स्पष्ट किया है जो तदर्थ शिक्षक न्यूनतम योग्यता पूरी करते हों और गत सत्र में सेवाएं दी हैं, उनकी नए सत्र में नियुक्ति कराई जाए। यूजीसी के निर्णय का दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट और डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने स्वागत किया है। वहीं, तदर्थ शिक्षकों के समर्थन में लगातार आंदोलन करने वाले शिक्षक संगठन एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलेपमेंट ने इस आदेश को खोखला और देर से उठाया गया कदम बताया है। संगठन के प्रवक्ता डॉ. राजेश झा ने कहा कि यह तदर्थ शिक्षकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। ऐसी क्या वजह थी कि यूजीसी सत्र शुरू होने के दिन कॉलेजों को पत्र लिख रहा है। यह प्रक्रिया पहले भी अपनाई जा सकती थी, कई कॉलेजों ने साक्षात्कार के आधार पर नियुक्तियां कर ली हैं। डीयू में करीब साढ़े चार हजार तदर्थ शिक्षक हैं, इस फैसले से सभी शिक्षकों को लाभ नहीं मिलेगा। यूजीसी को इस पर विचार करने की जरूरत है। कई प्रिंसिपलों ने तदर्थ शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं कराई हैं।
डीयू में एससी, एसटी और ओबीसी शिक्षक संगठन के अध्यक्ष हंसराज सुमन ने बताया कि यूजीसी के आदेश के बाद भी कई कॉलेजों में तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति सत्र के पहले दिन न करने के पीछे वर्कलोड और रोस्टर का तर्क दिया गया है। ऐसे में तदर्थ शिक्षक अपनी नौकरी से हाथ तो धोयेंगे ही ग्रीष्मकालीन वेतन का लाभ भी नहीं मिलेगा। यह कॉलेजों की मनमानी है। इसका संज्ञान यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को लेना चाहिए।