डीयू प्रशासन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम की वापसी के बाद भी दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने कुलपति प्रो. दिनेश सिंह के कार्यकाल में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सवाल उठाए हैं। उनके क्रियाकलाप पर श्वेतपत्र भी लाया गया है।
डूटा अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण ने कुलपति और उनके सहयोगियों की विदेश यात्रा, ओबीसी फंड से लैपटॉप, एसओएल को 100 करोड़ रुपये तथा रामानुजन कॉलेज को 25 करोड़ रुपये देने, उत्तराखंड आपदा में समय पर कॉलेजों द्वारा दिए गए धन को जमा न करने, डीयू के मूल नियमों में मनमाने तरीके से संशोधन करने, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रेस में वित्तीय अनियमितता, कॉलेजों में प्रिंसिपल की जगह विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) की नियुक्ति सहित कई तरह के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानोदय एक्सप्रेस व विदेशी टूर पर काफी पैसे खर्च किए गए। सूचना के अधिकार के तहत मांगी जा रही जानकारी के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन सही जानकारी नहीं दे रहा है। हेल्थ सेंटर में भी वित्तीय अनियमितता हुई है।
डूटा ने यौन शोषण के आरोपी अंबेडकर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. जीके अरोड़ा की पुनर्बहाली में भी कुलपति पर नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया है। डूटा पदाधिकारी संजय बोहिदार ने बताया कि क्लस्टर इनोवेशन सेंटर को भी काफी धन दिया गया। इसकी स्थापना भी नियमों को ताक पर रखकर की गई है। पदाधिकारी प्रमोद शास्त्री ने कहा कि शिक्षकों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए मिली धनराशि को डीयू प्रशासन ने अंतर्ध्वनि समारोह में खर्च कर दिया। राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान डीयू में स्टेडियम और अन्य मदों में हुए खर्च पर सीबीआई जांच के लिए भी कुलपति ने मना कर दिया। यदि जांच हो तो इसमें भी वित्तीय अनियमितता और नियमों के उल्लंघन का खुलासा होगा। डूटा अध्यक्ष ने बताया कि इस मसले पर डीयू के विजिटर राष्ट्रपति से मुलाकात कर वित्तीय अनियमितता की जांच की मांग करेंगे। इस संबंध में डीयू के मीडिया कोआर्डिनेटर डॉ. मलय नीरव से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल फोन बंद था।
डूटा के आरोप
-नियमों का उल्लंघन:- चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लाने के लिए नियमों का उल्लंघन किया गया। कुलपति ने आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग किया। शिक्षकों की सेवा शर्तो में अवैधानिक परिवर्तन, एकेडमिक काउंसिल में छात्रों के प्रतिनिधियों को शामिल न करना। छात्रों के लिए पुनर्मूल्यांकन और विशेष अवसर को बदल देना। संसद, नैक और उच्च न्यायालय को भ्रमित करना।
- ज्ञानोदय एक्सप्रेस ट्रेन में वर्ष 2012 और 2013 में क्रमश: 19830408 तथा 14882182 रुपये खर्च करना।
-कुलसचिव का कई यात्राओं पर जाना, जिसमें केवल शिक्षाविद ही जाते हैं। यात्रा पर काफी रुपये खर्च करना।
-एआरएसडी कॉलेज को बेहतर करने के लिए अरावली पहाड़ी का खनन।
-शिक्षकों का निलंबन।
-योग्य लोगों को विभागाध्यक्ष न बनने देना और अपने लोगों को लाभ देना।
-नियमों से परे जाकर अंबेडकर कॉलेज के प्रिंसिपल की पुनर्बहाली करना।
-नियमों को ताक पर रखकर उप कुलपति और साउथ कैंपस के निदेशक को आयुसीमा में छूट प्रदान करना।
-कुलपति के दूसरे कार्यकाल के लिए भी नियमों को बनाना।
-नियुक्ति प्रक्रिया में जानबूझ कर देरी करना।
-डीयू में 33 फीसद से अधिक अस्थाई और तदर्थ शिक्षक नहीं होने चाहिए, लेकिन 4500 तदर्थ शिक्षक हैं।