डीयू छात्रों ने शिक्षकों की योग्यता पर उठाए सवाल
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अंग्रेजी विभाग के तीन शिक्षकों के खिलाफ छात्र-छात्राओं की ओर से की गई शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन, विभाग तथा कॉलेजों में चर्चा का विषय बनी हुई है। छात्र-छात्राओं ने शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके और गलत तथ्य प्रस्तुत करने की शिकायत की है।
नार्थ और साउथ कैंपस में अंग्रेजी विभाग के एमए प्रथम और द्वितीय वर्ष के लगभग 200 छात्र-छात्राओं ने 15 सितंबर को विभागाध्यक्ष सहित, कुलपति, राष्ट्रपति और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर विरोध प्रकट किया है।
विभाग के ही कुछ शिक्षकों का कहना है कि छात्रों को उकसाकर कुछ लोगों ने उनसे पत्र लिखवाया है। जिन तीन शिक्षकों पर आरोप लगाए गए हैं उनकी नियुक्ति चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के तहत हुई है और इसका विरोध करने वाले अब उस समय में नियुक्त हुए शिक्षकों पर भी सवाल उठाना चाहते हैं। कुछ शिक्षकों का यह भी कहना है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति पर सवाल उठाना दरअसल विभागाध्यक्ष और उस पैनल पर भी सवाल उठाना है जिन्होंने इनकी नियुक्ति की। इस संबंध में विभागाध्यक्ष से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। छात्रों का कहना है कि वह इस संबंध में अब कोई बात नहीं करना चाहते।
मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं : झा
शिक्षक संगठन एकेडमिक्स फॉर एक्शन एंड डेवलेपमेंट के प्रवक्ता राजेश झा का कहना है कि हम पहले भी छात्रों द्वारा शिक्षकों के मूल्यांकन का विरोध करते हैं। छात्र कई बार बहकावे में आकर क्षेत्रवाद, जातिवाद और अन्य आधार पर शिक्षकों को लेकर नकारात्मक बातें करते हैं। हमें इस मसले को इतनी गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है।
स्टूडेंट्स-टीचर्स कमेटी बनाए डीयू प्रशासन : नंदिता
डीयू शिक्षक संघ की अध्यक्ष नंदिता नारायण का कहना है कि यदि अंग्रेजी विभाग में ऐसा मामला आया है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। दोनों पक्षों को बुलाकर इस मसले पर बात करनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि शिक्षक गलती कर देते हैं। इसको सुधारने के कई मौके हैं लेकिन इसके लिए स्टूडेंट-टीचर्स कमेटी होनी चाहिए। अपनी परेशानी या अपनी बात रखना छात्रों का हक है। यह डीयू प्रशासन की नाकामी है कि जब 2003 में एकेडमिक काउंसिल की बैठक में यह पास हो गया था कि हर विभाग में स्टूडेंट्स-टीचर्स कमेटी बनेगी जो बैठक कर आपसी समस्या सुलझा लेगी वह अभी तक नहीं बनी।