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डीयू के अध्यादेश में बदलाव के लिए दबाव डालेगा डूसू

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में दाखिले के लिए हर साल काफी संख्या में छात्र

By Edited By: Updated: Wed, 29 Oct 2014 09:10 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में दाखिले के लिए हर साल काफी संख्या में छात्र आवेदन करते हैं, लेकिन उनकी संख्या के अनुरूप कॉलेज नहीं हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) इस मुद्दे को छात्रसंघ चुनाव से पहले उठा रही है। छात्रसंघ में पूर्ण रूप से कब्जा करने के बाद वह फिर डीयू के अध्यादेश में परिवर्तन के लिए डीयू प्रशासन पर दबाव बनाने की तैयारी में है। एबीवीपी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के साथ मिलकर इस मुद्दे पर अभियान चलाएगी। सभी छात्रसंघ पदाधिकारी कुलपति के अलावा कॉलेजों की गवर्निग बॉडी से भी मिलेंगे। प्रात:कालीन कॉलेजों में सांध्यकालीन कक्षाएं चलाने की अनुमति देने के अलावा नए कॉलेज खोलने की भी मांग करेंगे।

डूसू अध्यक्ष मोहित नागर का कहना है कि देश का शीर्ष विश्वविद्यालय होने के कारण छात्र यहां पढ़ना चाहते हैं, लेकिन डीयू प्रशासन पूर्वी दिल्ली स्थित डीयू की जमीन पर कैंपस खोलने पर विचार नहीं कर रहा है। सांध्यकालीन कॉलेजों को प्रात:कालीन कॉलेजों में बदला जा रहा है, लेकिन नए कॉलेज खोलने पर विचार नहीं किया जा रहा है। नए कॉलेज खोलने के लिए अध्यादेश में बदलाव जरूरी है, इसलिए हम अध्यादेश बदलने के लिए दबाव डालेंगे।

डूसू सचिव कनिका शेखावत ने बताया कि हम डीयू प्रशासन से छात्राओं की सुरक्षा के लिए महिला सेल व साउथ कैंपस में छात्राओं के लिए बस का इंतजाम करने की मांग कर रहे हैं। हम अपने स्तर पर भी इसके लिए कोशिश कर रहे हैं।

एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री रोहित चहल का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय संसद के अध्यादेश से बना है, छात्रों की समस्या को लेकर हम संसद के बाहर रोज प्रदर्शन नहीं कर सकते। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को ही पहल करनी होगी। एबीवीपी और डूसू का प्रतिनिधिमंडल डीयू के अध्यादेश में बदलाव के लिए कुलपति सहित अन्य अधिकारियों से मिलेगा। डीयू प्रशासन के लिए छात्रहित कभी भी प्रमुख नहीं रहा। छात्रहित के मुद्दों के लिए छात्र संगठनों को लड़ाई लड़नी पड़ रही है। ऐसे में डीयू प्रशासन की मंशा पता चलती है।

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