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डूटा की हड़ताल मिला-जुला दिखा प्रभाव

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) द्वारा मंगलवार को किए गए हड़ताल के आ

By Edited By: Updated: Tue, 10 Mar 2015 11:11 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) द्वारा मंगलवार को किए गए हड़ताल के आह्वान का डीयू के कॉलेजों में मिला जुला असर दिखा। कुछ शिक्षकों ने सांकेतिक रूप से विरोध किया तो कुछ कक्षाएं छोड़कर हड़ताल में शामिल हुए।

डीयू के नार्थ कैंपस के आर्ट फैकल्टी के सामने सुबह शुरू हुई हड़ताल में दोहपर होते-होते लगभग 500 शिक्षक ¨हदू कॉलेज प्रशासन द्वारा निकाले गए शिक्षकों के समर्थन में जुट गए। लेकिन आर्ट फैकल्टी के विभागों से ही अपेक्षित शिक्षक इसमें शामिल नहीं हुए। अधिकांश हड़ताली शिक्षकों को तब झटका लगा जब भाजपा समर्थित शिक्षक संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के जनरल सेक्रेटरी और कार्यकारी समिति के सदस्य डॉ. एके भागी इसमें शामिल नहीं हुए। वह दयाल सिंह कॉलेज में चयन समिति की बैठक में शामिल हुए। डूटा अध्यक्ष जहां उनकी अनुपस्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बता रही हैं, वहीं एक शिक्षक ने तीखी प्रक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एके भागी का हड़ताल में शामिल न होना उन सैकड़ों शिक्षकों के साथ छल है जिन्होंने उनको वोट देकर कार्यकारी समिति का सदस्य बनाया। हालांकि,

एके भागी का कहना है कि हड़ताल में शामिल होने की सूचना उन्होंने लिखित रूप से प्रिंसिपल को दी थी। लेकिन शिक्षकों का प्रतिनिधि होने के कारण मैं कॉलेज की चयन समिति की बैठक में चला गया था। हड़ताल को मेरा पूरा समर्थन है। जिस समय आर्ट फैकल्टी के सामने विरोधी शिक्षकों का मजमा लगा था उसी समय एक बार फिर डीयू कुलपति प्रो. दिनेश सिंह के इस्तीफे की अफवाह उड़ी। कुलपति कार्यालय द्वारा इसका खंडन करने के बाद भी कई लोग इसको लेकर चर्चा करते देखे गए।

डीयू प्रशासन ने किया औचक निरीक्षण

डीयू प्रशासन ने हड़ताल के एक दिन पहले नो वर्क नो पे का आदेश जारी किया था। मंगलवार को डीयू प्रशासन ने कॉलेजों में शिक्षक कक्षाएं ले रहे हैं या नहीं, इसका औचक निरीक्षण भी किया। डीयू प्रशासन हड़ताली शिक्षकों के वेतन काटने के साथ अन्य कठोर निर्णय लेने के बारे में विचार कर रहा है।

देशबंधु कॉलेज का स्टाफ एसोसिएशन नहीं होगा शामिल

देशबंधु कॉलेज के स्टाफ एसोसिएशन ने हड़ताल में शामिल नहीं होने की घोषणा की। स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अश्विनी शंकर ने कहा कि हमारे कॉलेज में आमसभा हुई और शिक्षकों ने यह निर्णय लिया कि वह डूटा के साथ हैं, लेकिन हड़ताल में शामिल नहीं होंगे। यह गांधी का देश है कार्ल मा‌र्क्स का देश नहीं है। हम सत्याग्रह का रास्ता अपनाने पर विश्वास करते हैं।

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डीयू प्रशासन के डराने धमकाने से शिक्षक नहीं डरने वाले। शिक्षक हित के लिए बड़ी संख्या में शिक्षक अपना विरोध दर्ज कराने आए। हमने ¨हदू कॉलेज के शिक्षकों के लिए हड़ताल किया।

डॉ. नंदिता नारायण (अध्यक्ष, डूटा)

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- शिक्षकों के हित के लिए हमने हमेशा लड़ाई लड़ी है और हम आगे भी लड़ेंगे। शिक्षकों पर होने वाली किसी भी तानाशाही की हम खिलाफत करते हैं और शिक्षकों के निष्कासन को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे।

डॉ. आदित्य नारायण मिश्र (अध्यक्ष, एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलेपमेंट)

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- इस मुद्दे पर डूटा को एनडीटीएफ का पूरा समर्थन है। डीयू प्रशासन शिक्षकों को डरा धमका रहा है। सरकार को भी कुलपति के निर्देशों पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि डीयू प्रशासन का पत्र पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर आघात करता है।

डॉ. प्रमोद शास्त्री (प्रवक्ता, नेशनल डेमोक्रेटिक्स टीचर्स फ्रंट)

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