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कैलिफोर्निया की तर्ज पर होगी विश्वविद्यालयों की सुरक्षा

शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली सुरक्षा तकनीक की बात हो तो इस मामले में अमेरिका का कोई सानी नहीं है। शाय

By Edited By: Updated: Sun, 19 Apr 2015 10:12 PM (IST)
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शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली

सुरक्षा तकनीक की बात हो तो इस मामले में अमेरिका का कोई सानी नहीं है। शायद सुरक्षा के क्षेत्र में उसकी इसी मुस्तैदी को देखते हुए अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के विश्वविद्यालय परिसरों की सुरक्षा में कैलिफोर्निया के 'वार्न मी' सिक्योरिटी सिस्टम को अपनाने की सिफारिश की है।

यूजीसी के अनुसार, विश्वविद्यालयों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि ब वहां वार्न मी सिक्योरिटी सिस्टम की तर्ज पर उनके पास किसी भी आपात स्थिति से निबटने के लिए ई-मेल, लैंडलाइन फोन या सेल फोन के माध्यम से पुलिस व अन्य महत्वपूर्ण विभागों तक पलक झपकते ही पहुंच बनाने और विद्यार्थियों, शिक्षकों व कर्मचारियों को जल्द से जल्द कैंपस से बाहर निकालने का इंतजाम होना चाहिए।

आयोग की ये सिफारिश विश्वविद्यालयों के लिए तैयार की गई 'सेफ्टी ऑफ स्टूडेंट्स ऑन एंड ऑफ कैम्पस ऑफ हायर एजुकेशन इंस्टीट्शंस' संबंधी दिशा-निर्देशों का हिस्सा हैं। विभिन्न विश्वविद्यालय कुलपतियों को भेजे गए इन निर्देशों में कहा गया है कि कैंपस के छात्रावास या शैक्षणिक खंड की चारदीवारी की ऊंचाई अच्छी खासी होनी चाहिए। इतना ही नहीं, इस चारदीवारी की सुरक्षा चक्रीय कांटेदार तार से की जाएं, ताकि कोई उसे फांदकर अंदर दाखिल न होने पाएं।

इसी तरह छात्रावासों के अधिकतम तीन प्रवेश द्वार होने चाहिए और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले सुरक्षाकर्मी की संख्या न्यूनतम तीन हो। वे लाठी-डंडे के बजाय अस्त्र-शस्त्र से लैस हो। विश्वविद्यालय व छात्रावासों के परिसरों में प्रवेश द्वारों पर सीसीटीवी अनिवार्य रूप से चालू हालत में लगा हो, जिससे वहां आने वाले लोगों की पहचान सुनिश्चित की जा सके। इसी तरह प्रवेश द्वार पर महिला सुरक्षाकर्मियोंकी भी तैनाती की जाए ताकि छात्राओं की जांच उनके माध्यम से संभव हो।

मेटल डिटेक्टर व बायोमीट्रिक सिस्टम

यूजीसी ने परिसरों की सुरक्षा हेतु प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर लगाने की भी बात कही है। इसके अलावा कॉलेज व संस्थानों में आने वाले विद्यार्थियों की पहचान सुनिश्चित करने बायोमीट्रिक सिस्टम लगाया जा सकता है, जिससे हर छात्र की निगरानी हो सके और उनकी सुरक्षा में किसी तरह की कोई चूक न हो। इसी कड़ी में छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों के पहचान पत्र अनिवार्य करने, विश्वविद्यालय व कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर आपात स्थिति से निबटने के लिए आवश्यक नंबर्स, विश्वविद्यालयों में इमरजेंसी नोटिफिकेशन सिस्टम लगाने को कहा गया है ताकि आपात स्थिति में जरूरी ई-मेल, फोन व सेल फोन के माध्यम से सहायता के लिए जल्द मदद के लिए संपर्क साधा जा सके। कैलिफोर्निया का 'वार्न मी' सिक्योरिटी सिस्टम कुछ ऐसा ही सिस्टम है।

विश्वविद्यालय परिसर में हो पुलिस स्टेशन

यूजीसी ने कैंपस में पुलिस स्टेशन स्थापित करने की बात भी कहीं है। ताकि आपात स्थिति से निबटने के लिए पुलिस कैंपस में जल्द उपलब्ध हो सके। यूजीसी का कहना है कि चूंकि विश्वविद्यालयों में कक्षाएं, अध्ययन व लैब आदि में रिसर्च से जुड़ी गतिविधि देर रात तक चलती है सो जरूरी है कि विद्यार्थियों को पुलिस सुरक्षा मिले। इसी तरह यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को अपने यहा कम्युनिटी सर्विस ऑफिसर्स की नियुक्ति व विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए कैंपस में रात्रि शटल सर्विस शुरू करने की सिफारिश विश्वविद्यालयों से की है ताकि विद्यार्थी सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच सके।

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