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एफवाईयूपी की चोरी कर बनाया जा रहा पाठ्यक्रम

अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय में भले ही दाखिला प्रक्रिया शुरू करने की तिथि अभी न

By Edited By: Updated: Sun, 10 May 2015 07:48 PM (IST)
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अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली

दिल्ली विश्वविद्यालय में भले ही दाखिला प्रक्रिया शुरू करने की तिथि अभी निश्चित नहीं की गई है लेकिन इसके पाठ्यक्रम को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। डीयू के शिक्षकों ने अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) पर विवादित चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) को नकारने के बाद भी इसी पाठ्यक्रम की सामग्री चुराकर नया पाठ्यक्रम तैयार करने का आरोप लगाया है।

शिक्षकों का आरोप है कि न केवल सामग्री बल्कि संदर्भ के लिए लेखकों के नाम भी वैसे ही रख दिए गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी द्वारा जो पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है और यदि इसी पाठ्यक्रम को देश भर के विश्वविद्यालयों में लागू किया जाना है तो इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता। यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इस मुद्दे पर विश्वविद्यालय में दक्षिणपंथी और वामपंथी शिक्षक संगठन भी साथ आ गए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यकारी समिति के सदस्य डॉ. एके भागी का कहना है कि सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक तरह का पाठ्यक्रम बनाना विश्वविद्यालय संस्था के ऊपर प्रहार है। च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम विश्वविद्यालय संस्था को कमजोर करेगा। फिर ऐसे पाठ्यक्रम के प्रारूप को अपनाना जिस पर पहले ही सवाल खड़े किए जा चुके हैं ठीक नहीं है। ऐसा पहले भी हुआ है कि यूजीसी मॉडल पाठ्यक्रम बनाता था और इसे अपनी वेबसाइट पर डालता था लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि जल्दबाजी में एफवाईयूपी से ही सामग्री लेकर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है और इसे विश्वविद्यालयों पर थोपा जा रहा है।

यूजीसी पर खड़े होते हैं सवाल

डीयू के राजधानी कॉलेज में प्राध्यापक डॉ. राजेश झा का कहना है कि यह तो सरासर चोरी है और यह यूजीसी जैसी महत्वपूर्ण संस्था के ऊपर भी सवाल खड़ा करता है। एफवाईयूपी के पाठ्यक्रम में जिन देसी-विदेशी लेखकों का संदर्भ दिया गया है, पाठ्यक्रम बनाते समय हूबहू उसे ले लिया गया है। बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश या देश के अन्य पिछड़े इलाकों के विश्वविद्यालयों में छात्र कैसे इन लेखकों की किताबों को पढ़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि यह कानूनी रूप से अवैधानिक ही नहीं अनैतिक भी है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन की अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण का कहना है कि जो नीतियां बन रहीं हैं वह कारपोरेट के दबाव में हैं और देश के सभी तंत्र को नियंत्रित करने के लिए शिक्षा को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में यूजीसी की भूमिका कटघरे में है।

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