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डीयू में एलएलबी की सीटों पर खतरा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई के इच्छुक ऐसे आवेदकों के लिए बुरी

By Edited By: Updated: Mon, 11 May 2015 11:07 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई के इच्छुक ऐसे आवेदकों के लिए बुरी खबर है जिन्होंने आगामी सत्र 2015-16 में इस कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन किया है। दरअसल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) ने विश्वविद्यालय से कहा है कि वह अपने यहां उपलब्ध लॉ फैकल्टी में कुल नौ सौ सीटों पर दाखिला करे जबकि फैकल्टी ऑफ लॉ दो हजार से कम सीटों के लिए तैयार नहीं है। मामला न्यायालय में होने के बावजूद कोर्स में दाखिले के लिए बीते माह हुई आवेदन प्रक्रिया के अंतर्गत आवेदन करने वाले करीब 16 हजार आवेदकों को यह पता नहीं है कि उन्हें आखिरकार कितनी सीटों पर दाखिले के लिए आगामी 7 जून को होने वाली प्रवेश परीक्षा में भाग लेना है।

फैकल्टी ऑफ लॉ के डीन प्रो. अश्वनी कुमार बसंल ने बताया कि हमारी पूरी कोशिश है कि इस बार भी बीते साल की तरह एलएलबी के विद्यार्थियों को फैकल्टी ऑफ लॉ के अंतर्गत आने वाले कैंपस लॉ सेंटर, एक व दो में 23 सौ सीटें उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि बीसीआइ की ओर से इस संबंध में ऐतराज जताया गया है। प्रो. बसंल ने कहा, चूंकि मामला न्यायालय में है और विश्वविद्यालय को इस विषय में निर्णय लेना है इसलिए हमारा इस संबंध में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। सूत्रों की मानें तो मामले में बीसीआइ के दबाव के बावजूद लॉ फैकल्टी प्रशासन झुकने को तैयार नहीं है। सूत्र बताते हैं कि फैकल्टी प्रशासन की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय को स्पष्ट कर दिया गया है कि सीटों में कमी किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं होगी। इसके पीछे फैकल्टी का तर्क है कि जब सरकार हमें शिक्षकों के वेतन और विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए अनुदान देने को तैयार है तो अन्य किसी संस्था को इस बात का अधिकार क्यों दिया जाए कि वह हमारे संस्थान में सीटों की संख्या निर्धारित करे। यहां बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय व बीसीआइ के बीच डीयू की लॉ फैकल्टी में चलाए जा रहे एलएलबी पाठ्यक्रम के लिए न सिर्फ सीटों बल्कि संसाधनों की कमी को लेकर मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। मामले में गत 22 अप्रैल को विश्वविद्यालय को आदेश दिया गया है कि वह अपनी स्थिति आगामी 27 मई तक स्पष्ट करे। अब विश्वविद्यालय के रुख का इंतजार है।

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