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जिंदगी की शुरुआत भर है डिग्री : मिश्रा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : डिग्री सब कुछ नहीं है, यह जिंदगी की शुरुआत भर है। इसलिए अपनी अंतरात्मा की

By Edited By: Updated: Sat, 30 May 2015 08:46 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : डिग्री सब कुछ नहीं है, यह जिंदगी की शुरुआत भर है। इसलिए अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनो और आगे बढ़ो। जीवन में आगे बढ़ना है तो वही करो जो आपको पसंद है। ये मंत्र शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के 92वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर विद्यार्थियों को डिग्री देने पहुंचे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक प्रो. एमसी मिश्रा ने दिए।

डॉ.मिश्रा ने डीयू को ज्ञान का खजाना बताते हुए कहा कि इसकी शुरुआत वर्ष 1922 में तीन कॉलेजों से हुई थी और आज इसकी पहचान उच्च शिक्षा के क्षेत्र में न सिर्फ देश बल्कि विदेशों के सर्वोच्च संस्थानों में होती है। एम्स निदेशक ने छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ स्वस्थ रहने का मंत्र भी दिया। अपनी जीवन शैली में व्यायाम को पौष्टिक आहार व मौसमी फल शामिल करने को कहा। अभिभावकों को सीख देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को वह करने दें जो वह करना चाहते हैं, उन पर अपनी अपेक्षाओं का बोझ न डालें।

702 छात्रों को दी गई पीएचडी की उपाधि

दीक्षात समारोह में वर्ष 2014 में पीएचडी करने वाले 702 छात्र-छात्राओं को पीएचडी की उपाधि दी गई। इसके साथ-साथ 173 मेडल व पुरस्कार व 36 को डीएम व एमसीएच की डिग्री दी गई। इसके साथ ही जामिया मिलिया इस्लामिया व डीयू के संयुक्त तत्वाधान में चलने वाले मेटा यूनिवर्सिटी के एमएससी मैथमेटिक्स एजुकेशन के पहले बैच को भी डिग्री प्रदान की गई। वेंकेटेश्वर कॉलेज के एमएससी मैथमेटिक्स के छात्र संदीप भट्ट व हिंदू कॉलेज की एमएससी मैथ्स की छात्रा दीप शिखा को सबसे अधिक 6-6 मेडल व पुरस्कार मिले, जिसमें चार मेडल व दो पुरस्कार रहे। वहीं कुलपति प्रो. दिनेश सिंह ने स्वयं मंच से उतर कर अक्षम छात्र प्रमोद कुमार अग्रवाल को डिग्री प्रदान की। दीक्षात समारोह में मंच पर वाइंस चासलर प्रो. दिनेश सिंह, समकुलपति प्रो सुधीश पचौरी, रजिस्ट्रार तरुण कुमार दास, डीन ऑफ कॉलेज मालाश्री लाल उपस्थित थे।

अभिभावक भी हुए शामिल

डीयू ने इस बार दीक्षात समारोह नॉर्थ कैंपस स्थित इनडोर स्टेडियम में किया गया। लिहाजा अभिभावकों को भी शामिल होने का मौका मिला। परिवार वालों के लिए स्क्रीन व डीयू वेबसाइट के जरिए दीक्षात समारोह दिखाने की व्यवस्था की जाती थी।

शिक्षक ने दीक्षात समारोह का किया बहिष्कार

हिंदू कॉलेज के शिक्षक डॉ. रतन लाल ने दीक्षात समारोह का बहिष्कार किया। दरअसल रतन लाल को भी इसी दीक्षांत समारोह में पीएचडी की उपाधि मिलनी थी, लेकिन वह समारोह में नहीं गए। दरअसल बीते मार्च में सात शिक्षकों पर पाच साल तक किसी प्रशासनिक पद पर नियुक्ति नहीं देने व दो वेतनवृद्धि वापस लेने का फैसला किया गया है। इसके बाद से कॉलेज शिक्षक प्रबंधन के इस फैसले के विरोध में कॉलेज के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। डॉ. रतन लाल ने कहा कि वह नैतिक आधार पर इस समारोह में शामिल नहीं हुए हैं। डॉ. लाल ने कहा कि उनका विरोध कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ है जो हिन्दू कॉलेज में शिक्षकों के साथ जारी ज्यातियों को लेकर खामोशी बरते हुए हैं।

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