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स्टीफंस के प्रोफेसर की गिरफ्तारी पर रोक

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के से

By Edited By: Updated: Fri, 03 Jul 2015 08:05 PM (IST)
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रोफेसर सतीश कुमार की गिरफ्तारी पर 17 अगस्त तक रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर ने मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के निर्देश भी जारी किए हैं। अदालत ने कहा कि इस बीच कुमार मामले की जांच में पुलिस को सहयोग करें। मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी। गौरतलब है कि सेंट स्टीफंस कॉलेज की पीएचडी की एक छात्रा ने प्रोफेसर सतीश कुमार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। अदालत कुमार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अग्रिम जमानत की मांग की है। याचिका में 23 जून को निचली अदालत द्वारा दिए गए उस फैसले को भी चुनौती दी गई है जिसमें प्रोफेसर कुमार को अग्रिम जमानत देने से इन्कार किया गया था।

आरोपों को मनगढ़ंत बताया

कुमार की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन व नितिन कुमार स्वरूप ने दलील दी कि छात्रा के सभी आरोप मनगढ़त हैं और मामले में कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं है। उनका कहना था कि छात्रा अक्टूबर 2013 में हुई घटना की शिकायत कर रही है। छात्रा ने शिकायत करते हुए जो ई-मेल कॉलेज प्रिंसिपल को किए थे उसमें यौन उत्पीड़न का कोई आरोप नहीं लगाया था। अधिवक्ताओं ने दलील दी कि ई-मेल से साफ है कि उसने अपनी पढ़ाई के सिलसिले में खुद प्रोफेसर से संपर्क किया था। ऐसे में जो एफआइआर की गई है वह निरर्थक है। अधिवक्ताओं ने दलील दी कि कुमार मामले की जांच में सहयोग करने के लिए तैयार है और ऐसे में उनकी गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। उनका कहना था कि अलग-अलग लोगों को दी शिकायत में छात्रा अपने बयान बदल रही है और हर बार वह एक आरोप बढ़ा देती है। वह 85 प्रतिशत विकलांग है और छड़ी के सहारे चलती है। उसने छात्रा का न ही यौन उत्पीड़न किया है और न कभी उसका पीछा किया।

अधिवक्ता ने किया याचिका का विरोध

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने कुमार को अग्रिम जमानत देने की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि बृहस्पतिवार को छात्रा ने उन्हें एक ऑडियो रिकार्डिग दी है। इसमें कुमार व कॉलेज प्रिंसिपल वाल्सन थंपू आपस में बात करते सुनाई दे रहे हैं और कुमार मामले की जांच को प्रभावित कर रहे हैं। इस दौरान छात्रा भी वहां मौजूद थी। अधिवक्ता का कहना था कि कुमार पर लगे आरोप गंभीर हैं और वह एक प्रभावशाली पद पर है। अधिवक्ताओं ने अदालत को बताया कि 15 अक्टूबर 2013 को कुमार ने छात्रा के साथ कॉलेज की प्रयोगशाला में छेड़छाड़ की थी। इसके बाद वह उसका पीछा करने लगा। इसी दिन कुमार ने छात्रा के मोबाइल फोन पर करीब 25 बार कॉल की। लेकिन छात्रा ने उसका जवाब नहीं दिया। इसके बाद कुमार ने छात्रा को आश्वासन दिया था कि ऐसा फिर कभी नहीं होगा। बावजूद इसके कुमार ने कई बार छात्रा का यौन उत्पीड़न किया। इस बारे में छात्रा ने 164 के तहत दर्ज बयानों में बताया है।

गौरतलब है कि छात्रा ने 19 जून को मौरिस नगर थाने में कुमार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज कराई थी। छात्रा का आरोप था कि उसने मामले की शिकायत कॉलेज प्रशासन से भी की थी, लेकिन प्रशासन ने प्रोफेसर को बचाने का प्रयास किया।

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