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नियुक्ति से दाखिले तक डीयू पर उठे सवाल

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रि

By Edited By: Updated: Thu, 09 Jul 2015 08:12 PM (IST)

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया से लेकर विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए लागू आरक्षण पर अब सवाल उठने लगे हैं। बृहस्पतिवार को अनुसूचित जाति-जनजाति के कल्याणार्थ संसदीय समिति ने डीयू में नियुक्तियों से लेकर दाखिला प्रक्रिया तक लागू आरक्षण नीति व उसके क्रियान्वयन की पड़ताल की। समिति ने न सिर्फ विश्वविद्यालय का पक्ष जाना बल्कि शिक्षक व कर्मचारी संघ व अनुसूचित जाति-जनजाति व ओबीसी के लिए काम करने वाले संगठन के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की।

समिति अध्यक्ष फगन सिंह कुलस्ते के नेतृत्व में करीब 15 सांसदों का दल सुबह 10 बजे कुलपति कार्यालय पहुंचा और आरक्षण के संबंध में विभिन्न स्तर पर जानकारी एकत्र की। समिति ने दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) व दिल्ली यूनिवर्सिटी अनुसूचित जाति-जनजाति व ओबीसी फोरम के पांच प्रतिनिधियों से भी बात की। डूटा अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण व प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि हमने समिति सदस्यों को इस बात की जानकारी दी कि किस तरह से विश्वविद्यालय में रोस्टर सिस्टम को गलत ढंग से लागू कर कोटे के आवेदकों के साथ अन्याय हो रहा है। डीयू प्रशासन की ओर से भी कई तरह के आंकड़े पेश किए गए, बावजूद इसके समिति ने डूटा व अनुसूचित जाति-जनजाति व ओबीसी फोरम को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द बीते पांच वर्षो में कॉलेज स्तर पर नियुक्तियों में आरक्षण की पड़ताल कर उन्हें रिपोर्ट सौंपे।

सूत्रों के अनुसार समिति सदस्यों ने डीयू में हर साल कोटे की सीटें खाली रह जाने और कॉलेजों में फर्जी दाखिलों पर भी जवाब तलब किया। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने सफाई दी कि यहां सरकार की ओर से जारी दस्तावेजों के आधार पर ही दाखिले होते हैं, इसमें होने वाले फर्जीवाड़े को रोक पाना उनके लिए संभव नहीं है। हालांकि समिति के सदस्यों को कुछ शिक्षकों ने सुझाव दिया है कि कॉलेजों की मनमर्जी और विश्वविद्यालय की सुस्ती के कारण ही दस्तावेजों की जांच में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। योग्य छात्र की सीट पर फर्जी दस्तावेज के सहारे अयोग्य छात्र दाखिला पा लेता है।

शिक्षक प्रतिनिधियों को नहीं किया आमंत्रित

समिति के विश्वविद्यालय आने की जानकारी शिक्षक संघ व शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों को न दिए जाने पर भी खूब हंगामा हुआ। दो महिला सांसदों ने तो विशेष तौर पर इन प्रतिनिधियों को बुलाने की बता की, जिसके बाद समिति ने न सिर्फ इन प्रतिनिधियों को सुना बल्कि उनकी ओर से पेश दस्तावेज की भी जांच की। सुरक्षाकर्मियों द्वारा महिला सांसदों को रोके जाने पर भी खूब हंगामा हुआ।

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