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सीबीसीएस को लेकर गरमाया डीयू का माहौल

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में नए सत्र 2015-16 से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट

By Edited By: Updated: Sat, 11 Jul 2015 10:55 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में नए सत्र 2015-16 से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने को लेकर प्रशासन की ओर से जारी प्रयासों के चलते विश्वविद्यालय का माहौल गरमा गया है। सोमवार 13 जुलाई को विद्वत परिषद् व 14 जुलाई को कार्यकारी परिषद् में आने से पहले शनिवार को शैक्षणिक मामलों की स्थायी समिति के समक्ष इस स्कीम के तहत विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों को मंजूरी के लिए लाया गया। हालांकि, कमेटी के कई सदस्यों ने सीबीसीएस को लेकर आइटम आधार पर अपना विरोध भी दर्ज कराया। समिति में शामिल चुने हुए आठ सदस्यों में से सात सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराया है। वहीं विद्वत के 23 सदस्यों व कार्यकारी परिषद् के दो सदस्यों ने भी शनिवार को अपना विरोध लिखित रूप से कुलपति को भेजा व उनसे सीबीसीएस को रद करने की मांग की।

सीबीसीएस के अंतर्गत तैयार पाठ्यक्रम को लेकर लगातार शिक्षक संगठनों की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। शिक्षकों की आपत्ति इस बात को लेकर है कि कॉमन पाठ्यक्रम को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। वहीं इसके विरोध में शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाई गई। बैठक में शिक्षक संघ की ओर से पहले प्रस्ताव पेश किया गया कि सीबीसीएस को एक साल के लिए टाल दिया जाए, लेकिन जब सदस्यों ने इसका विरोध किया तो प्रस्ताव में बदलाव कर इसमें संशोधन कर इसे पूर्णतया वापस लिए जाने के लिए संघर्ष करने पर सहमति बनी।

एक मत से विरोध करने का किया फैसला

डूटा अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण ने बताया कि इस बैठक में सभी शिक्षक संगठनों ने आपसी विरोध को दरकिनार करते हुए एक मत से सीबीसीएस का विरोध करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि इस बैठक में यह तय किया गया कि विद्वत व कार्यकारी परिषद की बैठक में सीबीसीएस का जबरदस्त विरोध किया जाएगा। न केवल बैठक के आयोजन स्थल के बाहर बल्कि बैठक स्थल के अंदर भी शिक्षक प्रतिनिधि इस अनुचित कदम के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।

पाठ्यक्रम की गुणवत्ता के साथ किया समझौता

डूटा व शिक्षक संगठनों की इस बात को लेकर आपत्ति है कि इतने सारे पाठ्यक्रम एक बार फिर से चार वर्षीय ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम की तरह जल्दबाजी में तय किए गए हैं। इस तरह से पाठ्यक्रम की गुणवत्ता के साथ समझौता किया गया है। सदस्यों का विरोध इस बात को लेकर भी है कि यदि सीबीसीएस आगामी सत्र से लागू होता है तो कॉलेजों को एक साथ तीन सिस्टम यानी सेमेस्टर, चार वर्षीय बीटेक कोर्स व सीबीसीएस के तहत बैच चलाने होंगे।

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