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डीयू में सीबीसीएस, 20 से होगी पढ़ाई

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : पहले सेमेस्टर, फिर चार वर्षीय ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम और अब च्वाइस बेस्ड क्रेड

By Edited By: Updated: Mon, 13 Jul 2015 09:29 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : पहले सेमेस्टर, फिर चार वर्षीय ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम और अब च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस)। सोमवार को विद्वत परिषद की बैठक में चुने हुए सदस्यों के भारी हंगामे व विरोध के बावजूद सीबीसीएस स्कीम के अंतर्गत तैयार करीब 107 पाठ्यक्रमों को हरी झंडी दिखा दी गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पाठ्यक्रम को आगामी सोमवार (20 जुलाई) से लागू करने की घोषणा की है। वहीं शिक्षक संघ ने इसे कुलपति का तानाशाही भरा कदम करार दिया है। इसके खिलाफ विद्वत परिषद के 22 सदस्यों ने रातभर काउंसिल हाल में ही डेरा जमाया।

कुलपति कार्यालय स्थित काउंसिल हाल में विद्वत परिषद की बैठक सुबह साढे़ नौ बजे शुरू हुई। बैठक स्थल के बाहर जहां शिक्षक संघ व छात्र संगठन सीबीसीएस का विरोध कर रहे थे, वहीं अंदर परिषद के चुने हुए सदस्यों ने शून्यकाल की मांग कर बात रखने को कहा। उनकी मांग को कुलपति ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद हंगामा शुरू हो गया। सदस्य नचिकेता सिंह व हंसराज सुमन ने बताया कि साढे़ पांच बजे से साढ़े सात बजे के भीतर करीब 100 पाठ्यक्रमों को बिना किसी चर्चा के मंजूरी दी गई। बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी प्रो. उपिंदर सिंह ने भी सीबीसीएस का विरोध किया। 22 के मुकाबले 79 मतों से सीबीसीएस को मंजूरी दी गई।

रजिस्ट्रार तरुण दास ने बताया कि सीबीसीएस के अंतर्गत नए पाठ्यक्रम मंजूर हो गए हैं और इन्हें 20 जुलाई से शुरू हो रहे नए सत्र में लागू किया जाएगा। शिक्षकों को जरूरी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एक छोटा सा समूह असहयोगपूर्ण रवैया अपना रहा है, इसके की वजह कहीं न कहीं डूटा चुनाव है।

आज कार्यकारी परिषद में किया जाएगा पेश

विद्वत परिषद में मंजूर पाठ्यक्रमों को मंगलवार को कार्यकारी परिषद में पेश किया जाएगा। इसके बाद इन्हें डीयू कोर्ट ले जाया जाएगा। इसे लागू करने की प्रक्रिया लोकतांत्रिक ढंग से पूरी होगी। हालांकि डूटा अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण का कहना है कि चुने हुए सदस्यों की बात पर विचार ही न हो तो फिर कैसा लोकतंत्र।

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