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सीबीसीएस के चलते तदर्थ शिक्षक मुश्किल में

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में सत्र 2015-16 से लागू च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम

By Edited By: Updated: Tue, 21 Jul 2015 09:07 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में सत्र 2015-16 से लागू च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) का साइड इफेक्ट विद्यार्थियों से पहले शिक्षकों पर दिखने लगा है। नए सत्र में पुनर्नियुक्ति की बांट जोह रहे तदर्थ शिक्षक इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। कॉलेज बदले पाठ्यक्रम और उसके चलते कार्यभार में हुई कमी को देखते हुए तदर्थ शिक्षकों की फिर से नियुक्ति देने में फिलहाल किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं। हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) व शिक्षक संगठन लगातार मांग कर रहे हैं कि सभी शिक्षकों को फिर से नियुक्त कर ग्रीष्मकालीन अवकाश का वेतन दिया जाए।

डूटा अध्यक्ष डॉ. नंदिता नारायण ने बताया कि उन्हें कॉलेजों से सूचना मिल रही है कि प्राचार्य सीबीसीएस के चलते पहले कार्यभार निर्धारण करना चाहते हैं। हम न सिर्फ कुलपति बल्कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से भी मांग कर चुके हैं कि सभी तदर्थ शिक्षकों को पुनर्नियुक्ति प्रदान कर ग्रीष्मकालीन अवकाश का वेतन दिया जाए।

नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के अध्यक्ष डॉ. अजय भागी ने भी कॉलेज प्राचार्यो से अपील की है कि वे इस मामले में जल्दबाजी न करें। कार्यभार निर्धारण का इंतजार छोड़ सभी तदर्थ शिक्षकों को फिर से नियुक्त करें। एकेडमिक्स फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट (एएडी) के अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने विश्वविद्यालय नियमों को देखते हुए सभी तदर्थ शिक्षकों का ग्रीष्मकालीन वेतन जारी करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सीबीसीएस के चलते कंप्यूटर साइंस, ¨हदी, अंग्रेजी आदि विषयों में शिक्षकों का कार्यभार कम हुआ है। कुछ कॉलेजों ने तो नोटिस जारी कर तदर्थ शिक्षकों के स्थान पर अतिथि शिक्षकों को नियुक्त करने की तैयारी शुरू कर दी है।

स्थायी नियुक्ति भी लटकी

सीबीसीएस के चलते मिरांडा हाउस कॉलेज में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी लटक गई है। डूटा अध्यक्ष ने बताया कि केमिस्ट्री विभाग में तीन स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने इस प्रक्रिया को फिलहाल रोक दिया है। इन नियुक्तियों को लेकर कॉलेज प्राचार्य से बात की गई है और उन्होंने इस दिशा में जल्द कार्रवाई की बात कही है।

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