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पाठ्यक्रम तैयार नहीं, कैसे शुरू हो पढ़ाई

शैलेंद्र सिंह, नई दिल्ली नए सत्र 2015-16 से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) को पूरी तैयारी

By Edited By: Updated: Wed, 22 Jul 2015 07:52 PM (IST)
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शैलेंद्र सिंह, नई दिल्ली

नए सत्र 2015-16 से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) को पूरी तैयारी के साथ लागू करने का दावा कर रहे दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से बड़ी चूक हो गई है। महज दो दिन में विद्वत व कार्यकारी परिषद् में करीब 100 कोर्सेज को हरी झंडी दिखाने वाले विश्वविद्यालय में बीए प्रोग्राम (प्रयोगमूलक) फंक्शनल ¨हदी का पाठ्यक्रम बना ही नहीं है। आलम ये है कि नए सत्र के लिए पढ़ाई शुरू हुए तीन दिन बीत चुके हैं और कोर्स उपलब्ध न होने के चलते बिना पढ़ाई किए ही लौट जाते हैं।

बता दें कि बीए प्रोग्राम फंगशनल ¨हदी पिछले करीब 20 वर्षो से कौशल आधारित कोर्स के तौर पर भीमराव अंबेडकर व मिरांडा हाउस कॉलेज में उपलब्ध है। इस कोर्स में अध्ययन के लिए आने वाले छात्रों को ¨हदी माध्यम ऐसे पेपर पढ़ाए जाते हैं जो रोजगार की दृष्टि से उपयोगी है। इनमें शार्टहैंड, कंप्यूटर एजुकेशन, विज्ञापन, मीडिया अध्ययन, पत्र लेखन आदि शामिल है।

मिरांडा हाउस कॉलेज में इस कोर्स में पढ़ाने वाली शिक्षिका डॉ. रेनू अरोड़ा ने बताया कि इस कोर्स को करने वाले छात्रों को तीन साल बाद न सिर्फ बीए की डिग्री मिलती है, बल्कि वो इस लायक हो जाते हैं कि जल्द ही कहीं रोजगार पा लेते हैं। रेनू अरोड़ा ने बताया कि नए सत्र में मिरांडा कॉलेज में तो इस कोर्स में एक भी दाखिला नहीं हुआ, लेकिन अंबेडकर कॉलेज में कुछ बच्चों ने इस कोर्स को चुना है और अब वो अध्ययन के लिए नए कोर्स का इंतजार कर रहे हैं। वहीं अंबेडकर कॉलेज के सूत्रों के मुताबिक, यहां इस कोर्स में करीब डेढ़ दर्जन दाखिले हुए। अब कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, लेकिन शिक्षक व छात्र बिना पाठ्यक्रम के खाली बैठे हैं।

जल्द भेजा जाएगा तैयार पाठ्यक्रम

कॉलेज की एक शिक्षिका ने बताया कि इस संबंध में कॉलेज के स्तर पर विश्वविद्यालय कुलपति, दिल्ली सरकार व ¨हदी विभाग को सूचित कर दिया गया है और उन्हें यकीन दिलाया जा रहा है कि जल्द ही नया पाठ्यक्रम तैयार कर भेज दिया जाएगा। इस बाबत ¨हदी विभाग के प्रमुख प्रो. हरिमोहन शर्मा ने बताया कि उन्हें इस विषय में जानकारी नहीं है कि ये कोर्स तैयार किया जा रहा है या नहीं।

कहां हुई चूक

ऐसा नहीं है कि विश्वविद्यालय व विभागीय स्तर पर इस विषय में चर्चा ही नहीं हुई। सूत्र बताते हैं कि जब इस विषय पर विभाग में चर्चा हुई तो ये कहते हुए मामला टाल दिया गया कि यूजीसी की ओर से जारी सूची में इस कोर्स का नाम नहीं है। इसी तरह हाल ही में हुई विद्वत व कार्यकारी परिषद में भी इस विषय को कुछ शिक्षकों ने उठाया लेकिन उसके बाद भी आज तक नया पाठ्यक्रम कॉलेजों तक नहीं पहुंचा है।

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