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इस बार नहीं चलेगी नाम की हेराफेरी

शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव में नाम की हेराफेरी कर मनमाफ

By Edited By: Updated: Sat, 15 Aug 2015 08:05 PM (IST)
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शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव में नाम की हेराफेरी कर मनमाफिक बैलेट नंबर पाने की कोशिशों में जुटे उम्मीदवारों के अरमानों पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने पानी फेर दिया है। इस बार डूसू चुनाव में उम्मीदवार का वहीं नाम मान्य होगा जिससे उसने दाखिला लिया होगा। यदि उम्मीदवार नाम बदलने का प्रयास करता है तो भी उस नाम में बदलाव 30 सितंबर के बाद ही मान्य होगा। गौरतलब है कि चुनाव में बैलेट नंबर के चक्कर में मूल नाम से पहले एएए, एए आदि का इस्तेमाल किया जाता रहा है।

मुख्य चुनाव अधिकारी प्रो.डीएस रावत ने कहा कि बीते सालों में ऐसा देखने को मिला है कि बैलेट नंबर के मामले में ऊपर के पायदान पर जगह बनाने के लिए उम्मीदवार नाम बदल लेते हैं। वे नाम के आगे एएए, एए व एए डॉट आदि का इस्तेमाल करके आसानी से एक, दो, तीन बैलेट नंबर हासिल कर लेते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार उम्मीदवार का नाम वही मान्य होगा, जिस नाम पर उसने दाखिला लिया होगा।

प्रो.रावत ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से लागू व्यवस्था के अंतर्गत इस बार आगामी 30 सितंबर से पहले नाम में बदलाव की कोई मांग स्वीकार्य नहीं होगी। यानी नाम में हेराफेरी अब नहीं चलेगी। यहां बता दें कि नाम बदलने के संबंध में विश्वविद्यालय की ओर से अधिकारिक अधिसूचना भी की जा रही है, जिसके अंतर्गत स्पष्ट होगा कि नाम में बदलाव 30 सितंबर के बाद ही संभव होगा।

इस संबंध में न्यायालय में गुहार लगा चुके ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के दिल्ली राज्य के अध्यक्ष अनमोल रतन ने कहा कि इस विषय को लेकर हम बीते साल भी संघर्षरत थे और इस बार भी हमने डीयू प्रशासन से मांग की है कि ये हेराफेरी बंद की जाए। कैंपस में सक्रिय एबीवीपी व एनएसयूआई के उम्मीदवार हर बार पहला व दूसरा बैलेट नंबर हासिल करने में कामयाब रहते हैं। इसके लिए वे नाम में बदलाव की जुगाड़ करते हैं।

2014 के चुनाव में भी हुई थी नाम की हेराफेरी

बीते साल अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के पैनल से चुनाव लड़े मोहित नागर ने नामांकन एएए मोहित नागर से किया था, जबकि एनएसयूआई के उम्मीदवार गौरव तुशीर ने एए गौरव तुशीर से। इस तरह इन दोनों में गौरव को एक और मोहित को बैलेट नंबर दो प्राप्त हो गया था, जोकि सीधे अनुचित है। क्योंकि, चुनाव के पहले व बाद में इनका नाम व पहचान मोहित व गौरव के तौर पर ही रही है। यानी ये बदलाव सिर्फ और सिर्फ चुनावी फायदे के लिए किया गया था।

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