पाठ्यक्रम में बदलाव फिर बना डूसू चुनाव में मुद्दा
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव में एक बार फिर से पाठ्यक्रम में
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव में एक बार फिर से पाठ्यक्रम में बदलाव प्रमुख मुद्दा बनने जा रहा है। वर्ष 2013 से विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम में बदलाव के मुद्दे पर हो रहा ये डूसू का तीसरा चुनाव है। 2013 में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम का विरोध करने और फिर 2014 में इस पाठ्यक्रम को वापस कराने के चलते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) को छात्रों का समर्थन मिला था। लेकिन इस बार स्थिति एकदम उलट है। कारण यह है कि एबीवीपी विश्वविद्यालय में लागू च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के पक्ष में है जबकि अन्य संगठन इसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ऐसे में यदि विद्यार्थियों ने फिर बदलाव के खिलाफ वोट किया तो एबीवीपी की अध्यक्ष पद पर जीत की हैट्रिक मुश्किल हो सकती है।
एबीवीपी के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रोहित चहल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि विद्यार्थी हर बार व्यवस्था में बदलाव के खिलाफ ही वोट करते हैं। बीते दो साल से उन्हें पाठ्यक्रम में बदलाव के खिलाफ इसलिए चुना गया क्योंकि वह बदलाव उचित नहीं था। रोहित कहते हैं कि सीबीसीएस विद्यार्थियों के हित में है और यही कारण है कि संगठन इसके समर्थन में हैं। रोहित ने कहा कि हम विद्यार्थियों के बीच जाकर उन्हें यही बात समझा रहे हैं। रोहित कहते हैं कि न सिर्फ सीबीसीएस बल्कि हम हॉस्टल समस्या के निदान, परिवहन की परेशानी और सालभर छात्रसंघ द्वारा किए गए कार्यो को लेकर वोट मांगेंगे। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रोजी एम. जॉन का कहना है कि सीबीसीएस को लेकर विद्यार्थी नाराज हैं और केंद्र सरकार द्वारा लाया जा रहा कॉमन यूनिवर्सिटी बिल भी छात्र हित में नहीं है। रोजी ने कहा कि हम इन दोनों ही बदलावों को डूसू चुनाव में जोरशोर से उठाएंगे और इस बार यकीनन विद्यार्थी एबीवीपी को मजा चखाएंगे। एनएसयूआइ के अलावा ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) व स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) भी सीबीसीएस के खिलाफ है और इस बार वह डूसू चुनाव में इसके विरोध में वोट मांगने जा रहे हैं। आइसा दिल्ली के अध्यक्ष अनमोल रतन ने कहा कि विद्यार्थियों को पता ही नहीं है कि सीबीसीएस क्या है।