एबीवीपी ने बनाई रणनीति, 70 फीसद मतदान का लक्ष्य
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव इस बार अलग होने वाला है। आम
By Edited By: Updated: Sat, 22 Aug 2015 01:03 AM (IST)
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव इस बार अलग होने वाला है। आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई छात्र युवा संघर्ष समिति चुनाव में अन्य संगठनों को कड़ी टक्कर दे सकती है। ऐसे में एबीवीपी ने चुनावी रणनीति बदल ली है। एक तरफ जहां संगठन के बडे़ नेता यहां डेरा जमा चुके हैं, वहीं कार्यकर्ता डूसू चुनाव से जुडे़ 46 कॉलेजों और 4 विभागों में तैनात हैं। हर कॉलेज का अपना घोषणा पत्र होगा। एबीवीपी ने दिल्ली को 150 उपनगरों में बांट दिया है, ताकि हर उस छात्र तक पहुंचा जा सके जो डीयू में पढ़ता है। डूसू चुनाव में कांटे का मुकाबला होने के कारण छात्र संगठन वोट फीसद बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। एबीवीपी का दावा है कि वह इस बार 70 फीसद वोट के लिए प्रयास करेगी। अधिक से अधिक छात्र वोट देने के लिए आएं, इसके लिए कैंपेन चलाया जाएगा। कार्यकर्ताओं को बताया गया है कि वह कैसे बात करें, किन मुद्दों को लेकर छात्रों के बीच जाएं और मीडिया से कैसे पेश आएं। दिल्ली के अलावा 50-50 कार्यकर्ताओं को एनसीआर के छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। वे छात्रों के घर-घर जाकर मिलेंगे। सफल प्रयोग के तौर पर पेश करेंगे सीबीसीएस
एबीवीपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास कहते हैं कि हम दूसरे छात्र संगठन को कमजोर नहीं समझ रहे हैं, अपनी मेहनत और तैयारी में कोई कमी नहीं करेंगे। संगठन शिक्षा में बदलाव का पक्षधर है और विकल्प आधारित शिक्षा चाहता है ताकि अधिक से अधिक छात्रों को मनचाहा विषय पढ़ने को मिले, इसलिए हम इसके सकारात्मक पहलू के साथ छात्रों के बीच जाएंगे। डीयू में यदि कुछ छात्र सीबीसीएस की शिकायत कर रहे हैं तो इसकी प्रमुख वजह कुलपति हैं। उन्होंने इसको लेकर कोई तैयारी नहीं की। भास्कराचार्य कॉलेज 20 विकल्प दे रहा है, जबकि अन्य कॉलेज 3-4 विकल्प दे रहे हैं। अच्छी प्रणाली पर सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता। राष्ट्रवादी विचार के साथ होगा प्रचार
एबीवीपी के प्रदेश मंत्री साकेत बहुगुणा का कहना है कि हम पूरे साल छात्रों के बीच रहे हैं। अधिकांश छात्र राष्ट्रवादी विचारधारा रखते हैं। इस विचारधारा के साथ छात्रों के बीच जाकर संगठन द्वारा किए गए कार्यो को बताएंगे। चाहे महिला सुरक्षा का मुद्दा हो या लाइब्रेरी का, पानी का मुद्दा हो या सस्ती कैंटीन का, बसों का मुद्दा हो या मेट्रो के किराया में छूट का, हमने सभी के लिए संघर्ष किया है।
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