डूसू की नैया के खेवइया बने पुराने छात्र नेता
शैलेंद्र सिंह, नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी पर
By Edited By: Updated: Tue, 01 Sep 2015 08:01 PM (IST)
शैलेंद्र सिंह, नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) व भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) के बीच होने वाला सीधा मुकाबला इस बार छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) के आने से बेहद दिलचस्प हो गया है। छात्र संगठनों के लिए नाक का सवाल बने इस चुनाव में किसी भी कीमत पर जीत सुनिश्चित करने की हर संभव कोशिश जारी है। इसके लिए डूसू की राजनीति से सालों पहले खुद को अलग कर चुके नेता भी अब नीति निर्धारण से लेकर ग्राउंड जीरो तक एक-एक वोट का हिसाब लगा रहे हैं। वर्ष 2013 में चार में से तीन पद और 2014 में चारों पदों पर जीत का परचम लहराने वाली एबीवीपी के समक्ष जीत का सिलसिला बरकरार रखना इस बार सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं, दिल्ली भाजपा भी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद चाहती है कि डूसू चुनाव में जीत का परचम लहरा साबित किया जाए कि युवा आज भी उसके साथ हैं। इसके लिए वह एबीवीपी की हरसंभव मदद भी कर रही है। भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश अध्यक्ष नकुल भारद्वाज एबीवीपी के प्रचार में जोर-शोर से जुटे हैं। नकुल वर्ष 2001-2002 में डूसू अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वहीं, वर्ष 2006-07 में एनएसयूआइ की चली हवा के बीच एबीवीपी को उपाध्यक्ष पद पर जीत दिलाने वाले विकास दहिया भी संगठन के बुलावे पर इस चुनाव में जुट गए हैं। विकास को खासतौर पर चुनाव प्रबंधन से जुडे़ कार्य में लगाया गया है, ताकि जमीनी स्तर पर कार्यकत्र्ताओं को कोई परेशानी न हो। राष्ट्रीय मंत्री रोहित चहल को भी एबीवीपी ने नार्थ कैंपस में प्रचार अभियान की कमान सौंपी है। इसके अलावा डूसू के पूर्व संयुक्त सचिव रजनीश जिंदल, डूसू उपाध्यक्ष रहीं प्रिया डबास, पूर्व डूसू अध्यक्ष अमन अवाना व मोहित नागर भी एबीवीपी की जीत के लिए जोर लगा रहे हैं। एबीवीपी की तरह एनएसयूआइ भी इस मुहिम में पीछे नहीं है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद डूसू चुनाव में जीत एनएसयूआइ व दिल्ली कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। यही कारण है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन खुद इस अभियान में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा पूर्व डूसू अध्यक्ष व एनएसयूआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे रोहित चौधरी जीत के लिए प्रयासरत हैं। रोहित पश्चिमी दिल्ली में प्रचार अभियान को देख रहे हैं। वहीं, लगातार तीन बार डूसू चुनाव जीत चुकीं एनएसयूआइ की उपाध्यक्ष अमृता धवन को भी प्रचार अभियान में लगाया गया है। जबकि डूसू से जुडे़ अन्य नेताओं में अमित मलिक, रागिनी नायक, अशोक बसोया, नरेंद्र टोकस, अजय चिकारा व अरुण हुड्डा भी एनएसयूआइ की जीत के लिए जोर लगा रहे हैं।
सीवाईएसएस को भी मिल रहा है अलका व जितेंद्र का साथ पहली बार डूसू के दंगल में उतरी आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई सीवाईएसएस को भी अनुभवी नेताओं का सहयोग मिल रहा है। खासतौर पर पूर्व डूसू अध्यक्ष व कभी एनएसयूआइ की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं अलका लांबा सक्रिय हैं। अलका चांदनी चौक से आप की विधायक हैं। इसी तरह पूर्व डूसू अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी भी सीवाईएसएस की जीत के लिए जोर लगा रहे हैं। जितेंद्र कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं। इससे पहले वह भाजयुमो में थे। सीवाइएसएस दोनों ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के लिए लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।
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