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डीयू कुलपति के चयन में हो सकती है देरी

अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली विगत वर्षो से लगातार विवादों में रहने वाले डीयू के कुलपति प्रो. दिनेश सि

By Edited By: Updated: Wed, 07 Oct 2015 01:08 AM (IST)
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अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली

विगत वर्षो से लगातार विवादों में रहने वाले डीयू के कुलपति प्रो. दिनेश सिंह इसी माह अपना कार्यकाल पूरा करने वाले हैं, लेकिन इस बीच नए कुलपति के चयन के लिए बनी सर्च कमेटी पर ही सवाल खड़ा हो गया है। सूत्रों के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डीयू द्वारा सर्च कमेटी के लिए जो दो सदस्यों के नाम भेजे हैं, उनमें से एक नाम पर सहमति नहीं दी है। मंत्रालय ने डीयू प्रशासन से दोबारा नाम भेजने के लिए कहा है। यदि डीयू दोबारा नाम भेजता है तो उसे फिर से कार्यकारी समिति की बैठक करनी होगी और दूसरे नाम पर स्वीकृति लेनी होगी। ऐसे में डीयू के कुलपति चयन की प्रक्रिया में देरी हो सकती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय ने कुछ माह पूर्व कुलपति के चयन के लिए बनी कमेटी में दो नाम भेजे थे, जिसमें एक नाम पूर्व सीएजी प्रमुख विनोद राय का तथा दूसरा नाम इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन का था। लेकिन, इस सर्च कमेटी का अध्यक्ष मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा यूजीसी के अध्यक्ष वेद प्रकाश को बनाए जाने से एक बार फिर सवाल उठने लगे थे। पूर्व में डीयू कुलपति के लिए बनने वाली सर्च कमेटी के प्रमुख पूर्व न्यायधीश या अन्य गणमान्य व्यक्ति होते थे। विश्वविद्यालय के सूत्रों का कहना है कि मंगलवार देर शाम तक डीयू के पास मंत्रालय से कोई पत्र नहीं आया था।

गौरतलब है कि डीयू कुलपति और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बीच पहले से तनातनी का मामला सामने आ चुका है। विगत सप्ताह राष्ट्रपति के साथ विदेश दौरे पर जाने के लिए डीयू के कुलपति का भी नाम था, लेकिन अंत में उनका नाम काट दिया गया। कुलपति के विरोधी धड़े का कहना है कि कुलपति प्रो. दिनेश सिंह का विनोद राय और के. कस्तूरीरंगन से आत्मीय संबंध है। इसीलिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनका नाम भेजा, लेकिन वहीं कुछ अन्य लोगों का कहना है कि जानबूझकर यह किया गया है, क्योंकि नए कुलपति के चयन की प्रक्रिया में यदि देरी होगी तो इस बीच कार्यभार प्रो. दिनेश सिंह ही संभालेंगे। इस बीच वे कई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, मंत्रालय इस संबंध में दो बार डीयू को पत्र लिख चुका है कि वह इस बीच कोई निर्णय न लें।

उधर, डीयू के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि के. कस्तूरीरंगन ने स्वयं मंत्रालय को पत्र लिखकर डीयू से अपने संबंधों की जानकारी दी थी। हालांकि, मानद प्रोफेसर बनाए जाने के बाद भी कस्तूरीरंगन ने कभी डीयू में कोई कक्षा नहीं ली।

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