सर्च कमेटी बनाने वालों के लिए कुलपति बनना टेढ़ी खीर
शैलेंद्र सिंह, नई दिल्ली दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के नए कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर आए
शैलेंद्र सिंह, नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के नए कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर आए दिन नए-नए पहलू सामने आ रहे हैं। सर्च कमेटी में के. कस्तूरीरंगन के नाम को लेकर उठे सवाल के बाद अब कहा जा रहा है कि जिन सदस्यों ने मिलकर सर्च कमेटी में नामों का चयन किया है वो कुलपति पद के कैसे दावेदार हो सकते हैं। यानी कुलपति की टीम में शामिल कोई भी सदस्य व कार्यकारी परिषद में शामिल प्रोफेसर इस पद के लिए दावेदारी नहीं ठोक सकता है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य प्रोफेसर इंद्र मोहन कपाही ने बताया कि डीयू की ओर से नए कुलपति के चयन के लिए सर्च कमेटी के सदस्य के तौर पर विनोद रॉय व के कस्तूरीरंगन का नाम तय किया गया था। इन नामों को तय कर जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया तो विश्वविद्यालय को भी उस आदेश की जानकारी दी गई थी जिसमें कहा गया है कि कोई भी ऐसा सदस्य कुलपति पद का उम्मीदवार नहीं हो सकता है जो सर्च कमेटी के सदस्यों की चयन प्रक्रिया में शामिल हो। साफ है कि इस नियम के चलते कुलपति की टीम में शामिल सदस्यों सहित कार्यकारी परिषद में शामिल वो सभी सदस्य कुलपति पद की दौड़ से बाहर हो जाते हैं जो इस पद को पाने की योग्यता रखते हैं।
इस विषय में कार्यकारी परिषद की सदस्य आभा देव हबीब का कहना है कि 28 मई, 2015 की बैठक में कुलपति के चयन के लिए सर्च कमेटी में नामों को लेकर प्रस्ताव एजेंडा के तौर पर पेश नहीं किया गया था। यानी सदस्यों को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि बैठक में कुलपति नए कुलपति के चयन के लिए सर्च कमेटी के सदस्यों के नाम पेश करेंगे। कुलपति ने अन्य मामलों की तरह इस विषय को पेश किया और चूंकि उनकी ओर से दो ही नाम सुझाए गए इसलिए विचार-विमर्श या चर्चा का अवसर ही नहीं था। हालांकि, जिस तरह से कस्तूरीरंगन के नाम पर विवाद हुआ है उसकी सीधी जिम्मेदारी कुलपति की है, क्योंकि उन्होंने ही कस्तूरीरंगन को विश्वविद्यालय से जोड़ा था। यानी वो अच्छी तरह से जानते थे कि कस्तूरीरंगन की सर्च कमेटी में मौजूदगी परेशानी का सबब बन सकती है, बावजूद इसके उन्होंने ऐसा किया।
मंत्रालय के निर्देश के बाद अब सर्च कमेटी में फिर से नए नाम तय करने की मांग शुरू हो गई है। कार्यकारी परिषद के एक सदस्य ने बताया कि चूंकि के कस्तूरीरंगन के नाम की जगह नया नाम फिर से तय किया जाना है तो विनोद राय का नाम भी बदल देना चाहिए और इस बार ये विषय एजेंडा आइटम के तौर पर आना चाहिए।