डीयू कुलपति विदा, पचौरी बने कार्यकारी कुलपति
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति प्रो. दिनेश सिंह का पांच वर्षीय कार्
By Edited By: Updated: Wed, 28 Oct 2015 09:24 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति प्रो. दिनेश सिंह का पांच वर्षीय कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया। उपकुलपति प्रो. सुधीश पचौरी को उन्होंने कार्यभार सौंप दिया है। जब तक नया कुलपति नहीं आ जाता तब तक प्रो. सुधीश पचौरी ही कार्यवाहक कुलपति का कार्यभार संभालेंगे।
डीयू में एक तरफ जहां कुलपति की विदाई को लेकर कुछ प्राध्यापकों में दु:ख था, वहीं आर्ट फैकल्टी के बाहर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने कुलपति की विदाई को डीयू के हित में बताकर जश्न मनाया। डीयू के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि कुलपति का यह कार्यकाल डीयू के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। डीयू देश के शीर्ष संस्थानों में शामिल हुआ है। यहां के छात्रों के लिए रोजगार व अन्य अवसरों में बढ़ोतरी हुई है। भाषा विभाग के प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि डीयू में इससे पहले ऐसा कुलपति नहीं आया। प्रो. दिनेश सिंह का एक मात्र लक्ष्य डीयू को सर्वोच्च स्थान दिलाना था। उनके कार्यकाल में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को लाभ प्राप्त हुआ है। चाहे ज्ञानोदय एक्सप्रेस हो या अंतर्ध्वनि, सभी जगहों पर डीयू के छात्रों को अभिव्यक्ति का मौका मिला। न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी उन्होंने काफी काम किया है। समान अवसर प्रकोष्ठ के विशेष कार्यअधिकारी डॉ. विपिन तिवारी ने बताया कि शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों के लिए बतौर कुलपति प्रो. दिनेश सिंह ने काफी काम किया। उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उनको लैपटॉप देने से लेकर विदेश भेजने तक का प्रबंध उनके कार्यकाल में ही किया गया। कई बार अक्षम छात्रों को उनके गंतव्य तक भी छोड़ा है। वहीं, डीयू के डिप्टी डीन डॉ. मलय नीरव ने कहा कि प्रो. दिनेश सिंह का कार्यकाल विकास के लिए जाना जाएगा। नवोन्मेषी कार्य जितना इनके कार्यकाल में हुआ उतना कभी नहीं हुआ। हमारे लिए मुक्ति दिवस है: नंदिता
कुछ शिक्षकों ने कुलपति के कार्यकाल की जमकर आलोचना भी की। डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण का कहना है कि यह हमारे लिए मुक्ति दिवस है। इस कुलपति ने डीयू को काफी नुकसान पहुंचाया है। जिन्हें कार्यवाहक कुलपति बनाया गया है उनकी आयु को लेकर विवाद है। डीयू में कुलपति ने ओबीसी एक्सटेंशन के पैसे का दुरुपयोग किया। चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लागू करके कुलपति ने छात्रों का भविष्य अधर में डाला है। कुलपति की कारगुजारियों को लेकर हमने श्वेत पत्र भी जारी किया। कुलपति के ऊपर जांच बिठाई जानी चाहिए।
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