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दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए ड्राफ्ट तैयार: केजरीवाल

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: राजधानी में लागू ऑड-इवेन फॉर्मूले की समाप्ति के बाद दिल्ली सरकार अब दिल्ली

By Edited By: Updated: Sat, 30 Apr 2016 09:54 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली: राजधानी में लागू ऑड-इवेन फॉर्मूले की समाप्ति के बाद दिल्ली सरकार अब दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने को लेकर लोगों के बीच जाएंगे। इस बाबत लोगों से राय ली जाएगी। ऑड-इवेन की तरह विधानसभा स्तर पर विधायकों को दायित्व दिया जाएगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी को पूर्ण राज्य बनाने के लिए विधेयक का मसौदा तैयार है। उन्होंने शनिवार सुबह ट्वीट कर कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए विधेयक का मसौदा तैयार है। लोगों की टिप्पणियों और सुझाव के लिए इसे जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार का दावा है कि इससे उन्हें शहर में अपनी योजनाएं लागू करने में मदद मिलेगी। आप ने इसे अपने चुनावी घोषणापत्र में प्रमुखता से शामिल किया था। दिल्ली स्टेट बिल- 2016 जल्द ही पब्लिक रेफरेंडम के लिए वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। केजरीवाल सरकार अगले विधानसभा सत्र में बिल को विधानसभा में भी पेश करेगी। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार भाजपा और काग्रेस से भी बिल शेयर करेगी और उनका सहयोग मांगेगी।

मालूम हो कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पहली बार जब 49 दिनों की सरकार बनी थी तब केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा किया था। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के बिल को केंद्र पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर पर केंद्र और दिल्ली सरकार आमने-सामने आ सकती हैं। माना जा रहा है कि एक बार फिर दिल्ली में राज्य, केंद्र और उपराज्यपाल के बीच जंग छिड़ सकती है।

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आसान नहीं है पूर्ण राज्य का दर्जा

दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना आसान नहीं है। इसके लिए संसद की मंजूरी जरूरी है। पिछली एनडीए सरकार के दौरान भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात हुई थी। तब करीब 450 सासदों ने तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से मिलकर विरोध जताया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान भी यह मुद्दा उठाया था। दिल्ली को अभी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का दर्जा मिला हुआ है। यह स्टेटस अनुच्छेद 239 के जरिए दिया गया है। अनुच्छेद 239 के मुताबिक, दिल्ली में एक सीमित अधिकार वाली विधानसभा होगी। जिसे पुलिस, कानून एवं व्यवस्था और जमीन को छोड़कर दूसरे विषय पर कानून बनाने का अधिकार होगा।

यहा भी आएंगी मुश्किलें

- दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की कैपिटल को भी पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है। इन शहरों में भी वहा की केंद्र सरकार का ही कंट्रोल है।

- दिल्ली में संसद, राष्ट्रपति भवन, सांसद और मंत्रियों के बंगले हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार के कर्मचारियों की कॉलोनिया, एंबेसी, हाई कमीशन हैं। कई दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी दिल्ली में ही रहते हैं। उन्हें विशेषाधिकार मिले हुए हैं। ऐसे में अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया तो संवैधानिक संतुलन बिगड़ जाएगा।

- पूर्ण राज्य बनने पर दिल्ली में किसी दूसरी पार्टी और केंद्र में दूसरी पार्टी की सरकार बनती है तो टकराव होंगे।

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