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यूजीसी के सामने शिक्षकों ने दिया खाली थाली धरना

जागरण संवाददाता,नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश भर के कई विश्वविद्यालयों से आए शिक्षकों न

By Edited By: Updated: Mon, 06 Jun 2016 10:52 PM (IST)
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जागरण संवाददाता,नई दिल्ली:

दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश भर के कई विश्वविद्यालयों से आए शिक्षकों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के विरोध में यूजीसी के मुख्यालय के बाहर अपनी आवाज बुलंद की। शिक्षक अपना विरोध जताने के लिए हाथ में खाली थाली और चम्मच लेकर आए थे। इस विरोध प्रदर्शन का नाम खाली थाली धरना था। यहां शिक्षकों ने यूजीसी से नोटिफिकेशन वापस लेने की मांग की और शिक्षकों के हितों में फैसला लेने का आग्रह किया। इस बीच यूजीसी के शिक्षक प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक भी की लेकिन शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह बैठक बेनतीजा रही और यूजीसी ने मांगों को मानने से इन्कार कर दिया।

शिक्षक संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के अध्यक्ष प्रो.एके भागी ने बताया कि यूजीसी चेयरमैन ने हमारी बातें सुनी और इसको लेकर आश्वासन भी दिया लेकिन जब तक हमें लिखित आश्वास नहीं मिलता हमारा विरोध जारी रहेगा।

यूजीसी के चेयरमैन ने कहा कि शिक्षकों के पदों में कटौती नहीं की जाएगी, एपीआई की समस्या भी हमने उनको बताई और कहा कि वाजपेयी की सरकार के समय जो शिक्षकों के पदोन्नति की नीति थी उसे फिर से लाया जाए और स्टूडेंट के फीडबैक को शिक्षकों के प्रमोशन से न जोड़ा जाए।

हालांकि एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलेपमेंट के अध्यक्ष डॉ.आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि यूजीसी ने हमारी मांगों को नहीं माना है यह देश के लाखों शिक्षकों को प्रभावित करने वाला निर्णय है इसलिए हमारा विरोध जारी रहेगा।

आम आदमी पार्टी की शिक्षक ईकाई यूनिवर्सिटी टीचर्स फॉर एकेडमिक्स एंड एक्शन के देवेंद्र सिंह ने कहा कि चेयरमैन ने शिक्षकों के प्रतिनिधियों से बात की लेकिन कोई मांग नहीं मानी। शिक्षक हित को लेकर हमारा विरोध जारी रहेगा।

हालांकि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के सचिव अनुराग मिश्रा का कहना है कि उन्होंने शाम पांच बजे मानव संसाधन विकास मंत्री के साथ बैठक की है जिसमें यूजीसी के चेयरमैन सहित मंत्रालय के शिक्षा सचिव भी मौजूद थे।

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कन्हैया का हुआ विरोध

शिक्षकों का समर्थन करने आए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को शिक्षकों के कड़े विरोध का भी सामना करना पडा। जब वह बोलने आए तो कुछ शिक्षकों ने माइक छीन कर बोलने का विरोध किया।

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