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31 जनवरी को खास होगा चंद्रग्रहण, एक साथ नजर आएगा सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून

नेहरू तारामंडल की निदेशक डॉ. एन रत्नाश्री ने बताया कि चंद्रमा के तीनों ही कलेवर सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून एक साथ दिखाई देंगे। ऐसी घटना 35 वर्षों के बाद हो रही है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Tue, 30 Jan 2018 03:51 PM (IST)
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31 जनवरी को खास होगा चंद्रग्रहण, एक साथ नजर आएगा सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून

नई दिल्ली [जेएनएन]। चांद की खूबसूरती किसी से छिपी नहीं है, लेकिन बुधवार को दिखने वाला चांद बेहद ही अद्भुत नजर आने वाला है। इसे लेकर नेहरू तारामंडल ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। यहां शाम छह बजे से चंद्र ग्रहण के दौरान चांद के अलग-अलग रूप का दीदार किया जा सकेगा।

सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून

नेहरू तारामंडल की निदेशक डॉ. एन रत्नाश्री ने बताया कि इस दिन चंद्रमा के तीनों ही कलेवर सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून एक साथ दिखाई देंगे। ऐसी घटना 35 वर्षों के बाद हो रही है। इससे पहले एशिया में वर्ष 1982 में यह घटना देखने के लिए मिली थी। 31 जनवरी को शाम करीब 5:18 बजे से यह घटना देश के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिलेगी। नई दिल्ली में करीब छह बजे आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान चांद निकलेगा और तकरीबन आठ बजे तक यह नजारा देखा जा सकेगा।

दूरबीन की मदद से चांद का दीदार

स्कूली बच्चों सहित तारामंडल में आने वाले लोगों को स्काई थियेटर में इसके बारे में जानकारी दी जाएगी और चांद के रहस्यों के बारे में भी बताया जाएगा। यहां दूरबीन की मदद से लोग चांद का दीदार कर सकेंगे। ऊंचाई से यह नजारा साफ देखने को मिलेगा। लोग इसे घर पर भी दूरबीन और आधुनिक कैमरे की मदद से देख सकते हैं। विदेशों में भी इस घटनाक्रम को देखा जाएगा।

खास हैं सुपर, ब्लू और ब्लड मून

चांद और खूबसूरती हमेशा एक दूसरे के पर्याय रहे हैं और सुंदरता को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने में चार चांद लगाने की उपमा दी जाती है। ऐसे में चांद के सुपर, ब्लू और ब्लड जैसे नाम काफी आकर्षित करते हैं। खगोलीय घटना के ये नाम इनकी खास विशेषता के कारण दिए गए हैं।

ब्लू मून

आम तौर पर दो पूर्णिमा के बीच 29 दिन का फर्क होता है, ऐसे में एक ही माह में दो पूर्णिमा होना दुर्लभ है, लेकिन ऐसा होने की स्थिति को ही ब्लू मून कहते हैं। 2 जनवरी को भी पूर्णिमा थी।

ब्लड मून 

चंद्रग्रहण के दौरान जब चंद्रमा सूर्य की रोशनी से दूर होते हुए पृथ्वी की छाया में होता है तो इसका रंग लाल हो जाता है। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान यह रक्तिम लाल होता है। इस दौरान इस पर पृथ्वी की छाया से होते हुए कम ही सौर रौशनी पहुंचती है और वायुमंडल के बीच धूल के परत के कारण यह लाल नजर आता है। इसे ही ब्लड मून कहते हैं।

सुपर मून

चंद्रमा का अपने सामान्य आकार से अधिक बड़ा दिखाई देना सुपर मून कहलाता है। इस अवस्था में चांद की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। इस दौरान चंद्रमा धरती के नजदीक होता है। इसके अलावा ये तीनों खगोलीय घटनाएं एक साथ कम ही होती हैं, लेकिन 31 जनवरी 2018 को यह अद्भुत संयोग बन रहा है।

फिल्मों में भी रहा है ब्लू मून

हॉलीवुड फिल्म द स्मर्फ (एनिमेशन) की कहानी का केंद्र ब्लू मून ही है। यह चार जादुई बौनों की कहानी है जिन्हें ब्लू मून से चमात्कारिक शक्तियां मिलती हैं। फिल्म में ब्लू मून कई सदियों बाद होना बताया गया है। 

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