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फर्जी डिग्री बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश, देश के तमाम राज्यों में फैला है जाल

गिरोह के एजेंट देश के अधिकांश राज्यों में फैले हैं। ये दसवीं, बारहवीं से लेकर बीएड, जेबीटी, एलएलबी, एमबीबीएस, एमबीए आदि की डिग्री बेचते थे।

By Amit MishraEdited By: Updated: Tue, 30 Jan 2018 09:14 AM (IST)
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फर्जी डिग्री बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश, देश के तमाम राज्यों में फैला है जाल

नई दिल्ली [जेएनएन]। हरिनगर थाना पुलिस ने फर्जी डिग्री बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान हरिनगर निवासी पंकज अरोड़ा (35), जालंधर निवासी पविलार सिंह (40) व लुधियाना निवासी गोपाल कृष्ण (40) के रूप में हुई है।

जांच में पता चला कि गिरोह के एजेंट देश के अधिकांश राज्यों में फैले हैं। ये दसवीं, बारहवीं से लेकर बीएड, जेबीटी, एलएलबी, एमबीबीएस, एमबीए आदि की डिग्री बेचते थे। आशंका है कि यह गिरोह अभी तक 40 हजार लोगों को डिग्री बेच चुका है। पुलिस ने इनकी निशानदेही पर सैकड़ों की तादाद में फर्जी अंक पत्र, प्रमाण पत्र व इन्हें छापने की मशीन बरामद की है। मामले की छानबीन जारी है।

पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त विजय कुमार ने बताया कि तीन जनवरी को राजस्थान के सीकर निवासी विजय ने इस संबंध में हरिनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया कि उन्होंने राजस्थान के एक स्थानीय अखबार में एक विज्ञापन देखने के बाद एस.आर.के.एम एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के अशोक नगर स्थित कार्यालय में संपर्क किया और दसवीं कक्षा में एडमिशन और डिग्री के लिए बात की।

डाक के माध्यम से भेजे गई फर्जी डिग्री

इंस्टीट्यूट के मालिक पंकज अरोड़ा से बात करने के बाद इन्होंने आठ लोगों के लिए एक लाख 31 हजार रुपये जमा किये। कुछ दिनों बाद विजय को दसवीं का अंक पत्र, माइग्रेशन सर्टिफिकेट व अन्य प्रमाण पत्र डाक के माध्यम से भेजा गया। ये सर्टिफिकेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, आंध्र प्रदेश की ओर से जारी किए गए थे।

पासपोर्ट कार्यालय से पता चली सच्चाई 

विजय ने पुलिस को बताया कि उनके लिए सबसे बड़ा आश्चर्य यह था कि वे न तो कभी आंध्र प्रदेश गए थे और न ही कोई परीक्षा दी थी, ऐसे में उन्हें डिग्री कैसे हासिल हुई थी, यह परेशान करने वाली बात थी। विजय ने पंकज अरोड़ा से संपर्क किया तो उसने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है। इसके बाद विजय ने जब पासपोर्ट के लिए आवेदन दिया, तब उन्हें पासपोर्ट कार्यालय की ओर से बताया गया कि उनकी डिग्री फर्जी है। इसके बाद हरिनगर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की।

टेक्नीकल सर्विलांस से आरोपी को दबोचा

पुलिस अधिकारी ने बताया कि एसीपी केएसएन सुबुद्धि की देखरेख में हरिनगर थाना के इंस्पेक्टर अजय करण शर्मा व एसआई विकास आदि की टीम ने मामले की छानबीन शुरू की। टीम ने टेक्निकल सर्विलांस की मदद से आरोपी पंकज अरोड़ा को दबोच लिया। पूछताछ में पंकज ने बताया कि उसके दो साथी सर्टिफिकेट तैयार करने व उसकी छपाई करते हैं। इसके बाद पुलिस ने पविलार सिंह को कड़कड़डूमा व गोपाल कृष्ण को लुधियाना से गिरफ्तार किया। गोपाल कृष्ण लुधियाना में प्रिंटिंग प्रेस चलाता था, जहां डिग्री से जुड़े कागजात की छपाई होती थी।

एक डिग्री के लिए लेते थे दो हजार

लोगों को झांसे में लेने के लिए यह गिरोह विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के नाम से फर्जी वेबसाइट चलाता था। ये संस्थान मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रबंधन सहित विभिन्न राज्यों के सेकेंडरी बोर्ड के नाम पर बनाए जाते थे। जो लोग गिरोह के झांसे में आते थे, वे डिग्री की सत्यता जांचने के लिए जब वेबसाइट पर जाते थे तो उन्हें सबकुछ सही लगता था। वेबसाइट इतनी कुशलता से चलाई जाती थी कि किसी को कोई शक नहीं होता था।

गिरोह के एजेंट पूरे देश में फैले हैं

अब तक जिन संस्थानों के वेबसाइट का पता चला है, वो ओडिशा, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब सहित अनेक राज्यों में स्थित दर्शाई गई हैं। पुलिस के अनुसार, गिरोह के एजेंट पूरे देश में फैले हैं। एजेंट एक डिग्री जारी करने के एवज में गिरोह को डेढ़ से दो हजार रुपये देता था। वहीं, एजेंट लोगों से डिग्री के एवज में मोटी रकम वसूलता था। 

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