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यहां कभी भी हो सकते हैं धमाके, परेशानी बन गए हैं गैस सिलेंडर से लदे ट्रक

सिलेंडरों से भरे ट्रकों का जमावड़ा लोगों के लिए मुसीबत बन सकता है। पार्क में आसपास के सैकड़ों बुजुर्ग, बच्चे व महिलाएं घूमने आते हैं। अक्सर यहां पर स्कूली बच्चे भी पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।

By Amit MishraEdited By: Updated: Wed, 31 Jan 2018 10:06 PM (IST)
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यहां कभी भी हो सकते हैं धमाके, परेशानी बन गए हैं गैस सिलेंडर से लदे ट्रक

नई दिल्ली [जेएनएन]। नेहरू प्लेस स्थित डीडीए के आस्था कुंज पार्क के गेट पर गैस सिलेंडरों से भरे ट्रकों का जमावड़ा लोगों के लिए मुसीबत बन सकता है। यदि कभी गलती से सिलेंडर ने आग पकड़ ली ते भीषण हादसा हो सकता है। लापरवाही का आलम यह है कि ट्रकों के कारण पार्क का गेट लगभग बंद हो जाता है। इससे लोगों को पार्क में जाने का रास्ता ही नहीं मिल पाता है। पार्क में नियमित रूप से मॉर्निग-इवनिंग वॉक के लिए आने वाले लोगों और डीडीए के अधिकारियों ने गैस एजेंसी के मैनेजर से इस बारे में कई बार शिकायत भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

शिकायत के बाद भी नहीं हल हुई समस्या 

करीब 200 एकड़ में फैले इस पार्क के ओखला एनएसआइसी मेट्रो स्टेशन के पास बना गेट सिलेंडर से लदे ट्रकों के कारण बंद हो जाता है। गेट के बराबर में बने गैस गोदाम में आने वाले ट्रक मुख्य द्वार पर रोड़ा बन रहे हैं। इसकी वजह से लोगों को पार्क में जाने में काफी दिक्कत हो रही है। इस बारे में डीडीए के अधिकारियों ने भी गैस गोदाम के मैनेजर को शिकायत की पर समस्या का समाधान नहीं कराया गया।

पार्क में पिकनिक मनाने आते हैं बच्चे 

पार्क में आसपास के इलाकों के सैकड़ों बुजुर्ग, बच्चे व महिलाएं घूमने आते हैं। अक्सर यहां पर स्कूली बच्चे भी पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। पार्क के मुख्य द्वार पर अवैध पार्किंग के कारण सैकड़ों लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। ट्रकों के कारण पार्क का गेट तो नजर ही नहीं आता है। 

लापरवाही की आग 

अब बात करते हैं उस हादसे की जिसमें लापरवाही की वजह से 10 महिलाओं समेत 17 लोगों की मौत हो गई थी।बाहरी दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में स्थित अवैध पटाखा फैक्ट्री के गोदाम में लगी भीषण को भला कौन भूल सकता है। यह दर्दनाक सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर सरकार और प्रशासन कोई सबक सीखने को तैयार क्यों नहीं है। 

अवैध रूप से पटाखों की पैकिंग

बवाना स्थित जिस फैक्ट्री में आग से इतनी मौतें हुईं, उसके नीचे की मंजिल में पटाखों की पैकिंग का काम चल रहा था। यह फैक्ट्री प्लास्टिक के दानों के ही निर्माण के लिए जानी जाती थी, लेकिन इसमें अवैध रूप से पटाखों की पैकिंग का भी काम भी किया जाता था। यहीं पटाखों का गोदाम भी था। लापरवाही की बात करें तो दिल्ली में बवाना के अलावा नरेला, झिलमिल, पीरागढ़ी रोहतक कोड, मायापुरी समेत कुल 22 औद्योगिक इलाके हैं और कमोबेश हर जगह आग से बचाव के उपाय बेहद लचर हैं।

फैक्ट्री थी या मौत का कुआं

दिल्ली देश की राजधानी है और जब इसके औद्योगिक क्षेत्रों की ऐसी दशा है तो देश अन्य इलाकों की दुर्दशा को सहज ही समझा जा सकता है। ऐसे हादसे तभी होते हैं जब नियमों और कायदे-कानूनों का उल्लंघन होता है। हादसे वाली फैक्ट्री को तो उसके मालिक ने पहले से ही मौत का कुआं बना रखा था। वहां आग पर काबू पाने के कोई उपकरण नहीं थे। आग बुझाने को रेत तक नहीं थी और फैक्ट्री के बाहर जाने का रास्ता भी एक ही था। यही कारण था कि काम कर रहे श्रमिक चाहकर भी अपना बचाव नहीं कर पाए। 

अधिकारियों ने की अनदेखी 

फैक्ट्री प्लास्टिक की थी तो उसमें पटाखों का काम चल रहा था। जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी शायद उन्होंने इस तरह के अवैध कामकाज की अनदेखी की या फिर उन्होंने कभी यहां जाने की जहमत तक नहीं उठाई। जहां तक अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी होने की बात है, तो इस फैक्ट्री के पास कोई प्रमाण पत्र था ही नहीं।

हादसों से कोई सबक नहीं लिया जाता

अब ऐसे में नगर निगम और संबंधित प्राधिकरण की भूमिका को आसानी से समझा जा सकता है। क्या प्रशासन, पुलिस और विभाग महज खानापूर्ती के लिए रह गए हैं। आखिर क्यों पूर्व के हादसों से कोई सबक नहीं लिया जाता। 17 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है। क्या संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों की जवाबदेही नहीं बनती है।

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा 

बवाना की घटना लापरवाही का नतीजा थी। अब ऐसी ही लारवाही नेहरू प्लेस स्थित डीडीए के आस्था कुंज पार्क में देखने को मिल रही है जहां कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। याद रहे कि पार्क में आसपास के इलाकों के सैकड़ों बुजुर्ग, बच्चे व महिलाएं घूमने आते हैं। अक्सर यहां पर स्कूली बच्चे भी पिकनिक मनाने के लिए भी आते हैं। पार्क के गेट पर गैस सिलेडरों से भरे ट्रकों का जमावड़ा लोगों के लिए मुसीबत बन सकता है। यदि कभी गलती से सिलेंडर ने आग पकड़ ली ते भीषण हादसा हो सकता है।

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