बढ़ सकती हैं सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें, चिंतित हुई कांग्रेस
बीकानेर जमीन घोटाले की जांच धीरे-धीरे रॉबर्ट वाड्रा के करीब पहुंचती जा रही है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा सांसद सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वॉड्रा की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को अहम सुनवाई के दौरान रॉबर्ड वाड्रा को झटका देते हुए उनकी कंपनी की ओर दायर याचिका खारिज कर दी। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें प्राइवेट लिमिटेड के के नाम पर जारी किए गए नोटिस को पुन: आकलन करने को चुनौती दी गई थी। बता दें कि एलएलपी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में तब्दील कर दिया गया था।
बता दें कि बीकानेर जमीन घोटाले की जांच धीरे-धीरे रॉबर्ट वाड्रा के करीब पहुंचती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में 9 फरवरी को महेश नागर के फरीदाबाद के ठिकाने की तलाशी ली। महेश नागर स्काईलाइट हास्पीटलिटी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा हुआ है, जो वाड्रा की कंपनी है। इसके ईडी महेश नागर करीबी अशोक कुमार और जयप्रकाश बगरवा को गिरफ्तार किया था। स्काईलाइट हास्टपीटलिटी पर बीकानेर में गलत तरीके से सैंकड़ों एकड़ जमीन हथियाने का आरोप है।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजस्थान के सीमावर्ती इलाके बीकानेर में जमीन खरीदने के चार मामलों में महेश नागर स्काईलाइट हास्पीटलिटी का अधिकृत प्रतिनिधि था। पॉवर आफ अटार्नी के मार्फत सैंकड़ों एकड़ जमीन स्काईलाइट हास्पीटलिटी को बेचने के मामले में महेश नागर की अहम भूमिका थी। ईडी इसके पहले भी इस मामले में महेश नागर के ठिकानों पर छापा मार चुकी है। लेकिन अशोक कुमार और जयप्रकाश बगरवा से पूछताछ में मिले नए तथ्यों के बाद फिर से छापा मारा गया।
दरअसल बिकानेर में महाजन फायरिंग रेंज के निर्माण के दौरान विस्थापितों के लिए निर्धारित जमीन को फर्जी तरीके के खरीदने-बेचने में अशोक कुमार और जयप्रकाश बगरवा ने अहम भूमिका थी। इनमें से स्काइलाइट हास्टपीटलिटी को 69.55 हेक्टेयर जमीन 72 लाख रुपये में बेची गई थी।
इसके बाद इसी जमीन को 5.15 करोड़ रुपये में एलीजनी फिनलीज नाम की कंपनी को बेच दिया गया। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एलीजनी फिनलीज एक मुखौटा कंपनी है और कोई वास्तविक बिजनेस नहीं करती है। यही नहीं, इस कंपनी के कई शेयरहोल्डरों का कोई अता-पता ही नहीं है। आशंका है कि यह राबर्ट वाड्रा की मुखौटा कंपनी है।
विस्थापितों के लिए निर्धारित इस जमीन पर अवैध तरीके और फर्जी नामों से रजिस्ट्री कराने के मामले में राजस्थान पुलिस एफआइआर दर्ज कर जांच कर रही है। इसी आधार पर ईडी ने मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत इस मामले में केस दर्ज किया था। वैसे तो ईडी के केस में राबर्ट वाड्रा को सीधे पर आरोपी नहीं बनाया गया है। लेकिन उनकी कंपनी स्काईलाइट हास्पीटलिटी को नोटिस भेज कर दस्तावेज जमाने को कहा गया था।