17 साल की उम्र में 11 लोगों संग किया था छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म, अब 26 की उम्र में मिली सजा
मामला 2009 का है, तब दोषी युवक नाबालिग था। सुबूतों के आधार पर दोषी के घटनास्थल पर मौजूदगी की पुष्टि होती है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने एक युवक को एमबीए की 24 वर्षीय छात्रा के सामूहिक दुष्कर्म का दोषी ठहराया और पुनर्वास के लिए उसे तीन वर्ष के लिए सुधार गृह भेजा। मामला 2009 का है, तब दोषी युवक नाबालिग था। एक निचली ने पिछले साल फरवरी में इस मामले में 9 अन्य आरोपियों को इस आधार पर बरी कर दिया था कि असल गुनाहगारों की पहचान साबित नहीं हो सकी थी।
जेजेबी के पीठासीन मजिस्ट्रेट अरुल वर्मा ने कहा कि सुबूतों के आधार पर दोषी के घटनास्थल पर मौजूदगी की पुष्टि होती है। साथ ही अदालत में उसे गवाहों ने भी पहचाना है।
बोर्ड ने अपने 100 पन्नों के फैसले में कहा कि चिकित्सकीय तथा वैज्ञानिक साक्ष्यों और किशोर की अपराध में संलिप्तता दिखाने वाली वस्तुएं उसके पास से प्राप्त होने से अभियोजन पक्ष के गवाहों के सबूतों को पर्याप्त मजबूती मिलती है।
दोषी युवक अब 26 साल का है, घटना के वक्त वह 17 वर्षीय किशोर था। बोर्ड ने युवक को मजनूं का टीला स्थित सुधार गृह में तीन वर्ष के लिए भेजा है व युवक की उस याचिका को भी अनुमति दी है, जिसमें उसने सजा को एक माह के लिए निलंबित करने का अनुरोध किया था ताकि वह फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सके।
पीड़िता को मुआवजा दिलाए उत्तर प्रदेश प्राधिकार फैसले के दौरान बोर्ड पीड़िता को मुआवजा दिलाने की भी पैरवी की। जेजेबी ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्राधिकार मामले में दुष्कर्म पीड़िता को तीन लाख से अधिक का मुआवजा देने के लिए कदम उठाए।
साथ ही आदेश दिया कि बोर्ड के समक्ष झूठी गवाही देने के लिए बचाव पक्ष के गवाहों के खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाए। अभियोजन पक्ष की वकील नीलम नारंग ने कहा कि घटना पांच जनवरी 2009 की है।
दिल्ली निवासी छात्रा अपने एक दोस्त के साथ कार से नोएडा स्थित जीआइपी मॉल से लौट रही थी। रास्ते में क्रिकेट खेल कर लौट रहे कुछ बाइक सवार युवकों ने उन्हें जबरन रोका और कार में ही सवार हो गए।
आरोपितों ने दोनों की पिटाई की व गढ़ी चौखंडी के निर्जन स्थान पर ले गए, जहां 11 लोगों ने छात्रा के साथ दुष्कर्म किया। इनमें से एक आरोपित की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अभियोजन पक्ष की अपील दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है।