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विवाद पर पूर्व मुख्य सचिव राकेश मेहता बोले- दिल्ली संवैधानिक संकट की चपेट में

मैं वरिष्ठ आइएएस अंशु प्रकाश को निजी तौर पर अच्छे से जानता हूं। वे काफी सुलझे हुए, शांत स्वभाव वाले एवं मेहनती अधिकारी हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 21 Feb 2018 10:16 AM (IST)
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विवाद पर पूर्व मुख्य सचिव राकेश मेहता बोले- दिल्ली संवैधानिक संकट की चपेट में

नई दिल्ली (जेएनएन)। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर उन्हीं की मौजूदगी में आम आदमी पार्टी के विधायकों द्वारा मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से र्दुव्‍यवहार करना शर्मनाक कृत्य है। दिल्ली क्या, यह तो शायद पूरे भारत में कभी नहीं हुआ। मुख्य सचिव को हटाने की घटनाएं तो सामने आती रही हैं, लेकिन नेताओं द्वारा उनके साथ मारपीट किए जाने की कभी कोई घटना सामने नहीं आई।

सच तो यह है कि दिल्ली की आप सरकार तीन साल में भी अपने तमाम वादे पूरे नहीं कर पाई है। जनता को जवाब देना भारी पड़ रहा है। आप विधायकों और इस सरकार ने अगर आज तक किए हैं तो केवल विवाद। अब जब इन्हें दो साल में चुनाव नजर आ रहे हैं तो इनकी हालत खराब हो रही है। इसीलिए अधिकारियों पर दबाव डालकर उल्टे सीधे काम करा लेना चाह रहे हैं। मगर कोई अधिकारी दबाव में कभी काम नहीं करता।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों तक को क्रियान्वित कराने की जिम्मेदारी इन्हीं पर होती है। अगर यह नेताओं के दबाव में आने लगे, तब तो व्यवस्था ही बिगड़ जाएगी। मेरी समझ में यह नहीं आता कि रात 12 बजे राशन कार्ड को लेकर कौन सी बैठक हो रही थी। या तो यह सारी घटना पूर्व नियोजित थी। हमेशा की तरह यह लोग फिर से गलत संदेश के साथ जनता को भ्रमित करना चाहते थे। अपनी नाकामी का सेहरा नौकरशाहों के सिर बांधना चाहते थे।

मैं वरिष्ठ आइएएस अंशु प्रकाश को निजी तौर पर अच्छे से जानता हूं। मेरे मुख्य सचिव रहते हुए भी वे दिल्ली सरकार में कई अहम पदों पर रहे हैं। वे काफी सुलझे हुए, शांत स्वभाव वाले एवं मेहनती अधिकारी हैं।

कार्यपालिका लोकतंत्र का दूसरा स्तंभ है। अगर विधायिका उसे ही इस तरह दबाना या कुचलना चाहेगी तो लोकतंत्र ही जीवित नहीं रह पाएगा। यह तो शुक्र है कि भारतीय संविधान की धारा 121 में यह व्यवस्था है कि आइएएस अधिकारियों के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार को है न कि राज्य सरकार को।

अगर ऐसा न होता तो नौकरशाहों के लिए काम करना ही मुश्किल हो जाता। अधिकारी वर्ग किसी भी सरकार की मशीनरी होता है। अगर सरकार अपनी मशीनरी को ही खराब कर देगी तो वह काम किससे लेगी? निस्संदेह यह सारी स्थिति दिल्ली को संवैधानिक संकट की चपेट में ले रही है।

- लेख राकेश मेहता (पूर्व मुख्य सचिव दिल्ली सरकार) से संजीव गुप्ता की बातचीत पर आधारित है।

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