दिल्ली में कौतूहल बना सांप, अचानक लाल कपड़े में तब्दील होने से गहराता जा रहा रहस्य
अंधविश्वास के शिकार लोग भजन-कीर्तन शुरू कर चुके हैं। धूप-फूल, चढ़ावा और प्रसाद का भी दौर जारी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। रेवला खानपुर, दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित यह गांव अचानक ही चर्चा में आ गया और देखते ही देखते आस्था स्थल बना दिया गया। वजह है एक सांप, जो करीब एक माह से यहां दिखाई दे रहा है और हटाए जाने के बाद भी उसी जगह लौट आ रहा है।
लगातार फर्राटा भरतीं महंगी चमचमाती गाड़ियों के कारण यहां की सड़क पार करना कठिनाई भरा है और आलीशान फार्महाउस धूप से बचाने में अक्षम हैं। बदलाव और प्रगति की सूरत इतने करीब से देखने के बावजूद रेवला खानपुर की इस सड़क के किनारे अचानक लाल कपड़ा नजर आने लगा है और लोग भजन-कीर्तन शुरू कर चुके हैं। धूप-फूल, चढ़ावा और प्रसाद का भी दौर जारी है।
ग्रामीणों ने बताया कि एक माह पहले यहां दीवार पर यह सांप दिखाई दिया था। लोगों ने उसे वहां से हटाने-भगाने की कोशिश की साथ ही सपेरे भी बुलाए गए, लेकिन सांप बार-बार इसी जगह पर लौट आता था। सांप को हटाने के लिए कुछ लोगों ने दीवार भी तोड़ दी, लेकिन फिर भी वह यहीं मौजूद है।
इसके बाद लोगों ने बकायदे उसे स्थान देकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी और नागदेव के लिए भजन-कीर्तन करने लगे। चार दिन पहले ग्रामीणों ने यहां उत्सव मनाया और भव्य भंडारे का भी आयोजन किया।
अब ग्रामीणों ने वन विभाग से ग्रामसभा की जमीन पर मंदिर बनाने की इजाजत देने की मांग भी की है। लोग यहां लगातार जुट रहे हैं और दूर-दूर तक इसे हिंदुओं की कहानियों के आधार पर प्रचारित भी कर रहे हैं।
रेवला खानपुर में सांप को लेकर कुछ और कह रहे विशेषज्ञ
विशेषज्ञों का कहना है कि इस इलाके में हरियाली ज्यादा है ऐसे में इस तरह के जीवों का दिखना साधारण सी बात है। हालांकि ग्रामीण इसके रंग-रूप को सामान्य नहीं मान रहे हैं।
डॉक्टर फैयाज खुदसर (वन्य जीव विशेषज्ञ) का कहना है कि मैंने यह सांप केवल तस्वीरों में ही देखा है। पहली नजर में यह अभी छोटा ही है और कमजोर भी है। अपनी प्रकृति के अनुरूप उचित खान-पान न मिलने के कारण यह एक ही जगह स्थिर है।
ज्ञानिक तथ्य यह भी है कि सांप दूध में मौजूद प्रोटीन को पचाने की क्षमता नहीं रखते हैं। केंचुल चढ़ी होने के कारण भी सांप अर्धसुप्त अवस्था में रहते हैं और कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।