सावधान, होली के दिन आप पर रहेगी जल बोर्ड की नजर, पानी की बर्बादी पड़ सकती है भारी
जल बोर्ड के इस तैयारी के बावजूद इस बार होली के दिन पानी की बर्बादी लोगों के लिए भारी पड़ सकती है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ] । होली के त्योहार में अब कुछ ही दिन शेष है। इसलिए बाजारों में रौनक भी दिखने लगी है। होली के हुड़दंग में हर साल हजारों लीटर पानी बर्बाद होता है। इसलिए उस दिन सामान्य दिनों की तुलना में पानी की मांग बढ़ जाती है।
इस वजह से जल बोर्ड को भी पानी आपूर्ति के समय में बदलाव करना पड़ता ताकि उस दिन पानी ज्यादा बर्बाद न होने पाए और लोगों को पानी भी मिल जाए। जल बोर्ड के इस तैयारी के बावजूद इस बार होली के दिन पानी की बर्बादी लोगों के लिए भारी पड़ सकती है। क्योंकि दिल्ली में पहले से ही पेयजल किल्लत बनी हुई है।
यमुना में अमोनिया की मात्रा बढऩे व मूनक नहर से दिल्ली की जरूरत के अनुसार पानी नहीं मिल पाने के कारण पिछले दो महीने से पेयजल आपूर्ति कम हो पा रही है। इस वजह से जल बोर्ड को पेयजल आपूर्ति में कटौती करनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि जिन इलाकों में दिन में सुबह शाम दोनों बार पानी आता था वहां सिर्फ एक बार पानी आपूर्ति हो पा रही है। कई इलाकों में एक-एक दिन बीच कर पानी आपूर्ति की जा रही है।
जल बोर्ड के अनुसार दिल्ली में प्रतिदिन करीब 1140 एमजीडी पानी की जरूरत होती है। होली के दिन पानी की खपत बढ़ जाती है। जबकि इन दिनों प्रतिदिन करीब 820 एमजीडी पानी आपूर्ति ही हो पा रही है। इस तरह 320 एमजीडी पानी की कमी है।
ऐसे में होली के दिन पानी बर्बाद करने पर कई इलाकों में लोग पानी के लिए भी तरस सकते हैं। इसलिए जल बोर्ड के अधिकारी लोगों को उस दिन संभलकर पानी का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। जल बोर्ड के अधिकारी कहते हैं कि रंगों की जगह हर्बल गुलाल लगाकर सूखी होली मनाएं। ताकि जल संरक्षण को बढ़ावा मिल सके।
जल बोर्ड का कहना है कि होली के दिन कितना पानी बर्बाद होता है इसका कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है। पर उस दिन पानी की मांग बढ़ जाती है। लोग सुबह में होली खेलते हैं और बाद में साफ सफाई में पानी की खपत अधिक होती है। इसलिए होली के दिन सुबह में पानी की आपूर्ति कम कर दी जाती है। इस बार भी ऐसा ही किया जाएगा। दोपहर में दो बजे या उसके बाद पानी आपूर्ति की जाती है। हर्बल गुलाल का रंग जल्दी उतर जाता है। इसलिए लोगों को हर्बल गुलाल का इस्तेमाल करना चाहिए।
भूजल को बचाने के लिए भी जरूरी है जल संरक्षण
दिल्ली में भूजल दोहन अधिक होता है। इस बारे में केंद्रीय भूजल नियंत्रण बोर्ड सरकार को आगाह कर चुका है। यहंा हर साल 392 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) भूजल दोहन होता है। जबकि हर साल 287 एमसीएम पानी रिचार्ज हो पाता है। इस तरह भूजल रिचार्ज की तुलना दोहन अधिक होता है। इसलिए भी जल संरक्षण जरूरी है।