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केजरीवाल का बैठकों को 'LIVE' करने का फैसला क्या राज्यों के लिए बन सकेगा नजीर

मंत्री और अधिकारी द्वारा होने वाली हर सरकारी बैठक कैमरे के सामने और कैमरे की नजर में होगी।

By JP YadavEdited By: Updated: Tue, 27 Feb 2018 02:29 PM (IST)
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केजरीवाल का बैठकों को 'LIVE' करने का फैसला क्या राज्यों के लिए बन सकेगा नजीर

नई दिल्ली (जेएनएन)। मुख्य सचिव से मारपीट के मामले में घिर चुकी दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि अब हर बैठक का लाइव प्रसारण कराएगी। सरकार का ये फैसला किसी भी विवाद से बचने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। प्रस्ताव तैयार होते ही मार्च में पेश होने वाले बजट में इसका प्रावधान किया जाएगा। सरकार के इस फैसले पर बाबू कोई अड़चन न लगा सकें, इसके लिए बजट से ही इसे लागू करवाने की तैयारी की जा रही है। इस अतिरिक्त खर्चे के लिए फंड भी मुहैया कराया जाएगा। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह तरीका अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नजीर बन सकता है?

दिल्ली में मुख्य सचिव से मारपीट के बाद हर बैठक का लाइव वेबसाइट होगा

सूत्रों के अनुसार केजरीवाल सरकार ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसके अनुसार मंत्री और अधिकारी द्वारा होने वाली हर सरकारी बैठक कैमरे के सामने और कैमरे की नजर में होगी जिसका लाइव प्रसारण या लाइव वेबकास्ट दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर किया जाएगा।

मंत्री, अधिकारी या मुख्य सचिव ही नहीं बल्कि खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा होने वाली तमाम सरकारी बैठकें भी वेबकास्ट की जाएंगी। यहां तक कि कैबिनेट की बैठक भी वेबसाइट पर प्रसारित की जाएंगी। सरकार का दावा है कि इससे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी। सिर्फ सरकारी बैठकें ही नहीं बल्कि हर नीतिगत फैसलों से जुड़ीं फाइलों की स्थिति का भी जनता को पता चल सके। इसके लिए भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

इसके मुताबिक किस मंत्री ने किस योजना से संबंधित फाइल पर दस्तखत करने में कितना समय लगाया या उस फाइल को पुनर्विचार के लिए भेजने से पहले क्या निर्देश दिए या फिर उस पर क्या कमेंट लिखा, इसका भी ब्योरा वेबसाइट पर डाला जाएगा। वहीं किस अधिकारी ने इन फाइलों को कितने समय में मंजूरी दी आदि। सरकार के सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में फाइलें दबाई जाती हैं।

भाजपा ने AAP की मंशा पर उठाए सवाल

अधिकारियों के साथ बैठक का लाइव प्रसारण करने के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव पर भाजपा ने प्रश्न चिह्न खड़ा किया है। दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि जिस मुख्यमंत्री ने अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में पारदर्शिता और खुलेपन के सिद्धांतों के विरुद्ध काम किया हो उससे लाइव प्रसारण की आशा करना रेगिस्तान में पानी ढूंढ़ने के समान है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कभी भी स्वतंत्र और सूचना के मुक्त आदान -प्रदान को प्रोत्साहित नहीं किया। वह सरकार और आम आदमी पार्टी से जुड़ी हुई जानकारी जनता को देने से बचते रहे हैं। यदि पारदर्शिता को लेकर सरकार के इरादे नेक और ईमानदार होते तो अधिकारियों और सरकार के बीच अविश्वास इतना गहरा नहीं होता।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार में साहस है तो वे केवल फाइलें ही नहीं सरकार की सारी कार्यप्रणाली, योजनाओं और आय-व्यय के संपूर्ण विवरण को निरंतर ऑनलाइन करें। सरकार आलोचना से बचने के लिए वेबसाइट पर जानकारी देने से बच रही है। आम आदमी पार्टी के चंदे की जानकारी और विधानसभा चुनाव में किए गए 70 वादों की जानकारी भी वेबसाइट पर नहीं है।

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