'सामूहिक शादी' योजना में एक और गड़बड़ी, सरकारी पैसों की खातिर 8 जोड़ों ने दोबारा लिए 7 फेरे
ग्राम प्रधानों ने भी शादीशुदा जोड़ों को शादी में मिलने वाली 20000 रुपये और उपहार का लालच दिया था।
नोएडा (राजीव वशिष्ठ)। उत्तर प्रदेश में 'मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना' में 'सरकारी शादी' करके सरकारी खजाने को चूना लगाने का सिलसिला जारी है। अब पूरे सूबे से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। इस कड़ी में यूपी के गौतमबुद्धनगर में एक और गड़बड़ी सामने आई है। दरअसल, दादरी के बंबावड़ गांव से चयनित किए गए पात्रों में कुछ पहले से ही शादीशुदा हैं।
जानकारी सामने आ रही है कि बंबावड़ गांव से 12 युवतियों के नाम सूची में शामिल किए गए थे। इनमें से आठ युवतियां पहले से शादीशुदा हैं। इनकी शादी 2017 व 2018 में हो चुकी है। इनकी शादी का रिकार्ड भी दैनिक जागरण के पास मौजूद है। शादी में दान दहेज के साथ वाहन तक दिया गया था।
...इसलिए हो रही गड़बड़ी
जानकारी सामने आ रही है कि मुख्यमंत्री के सफल आयोजन में सरकार से वाहवाही लूटने के लिए अधिकारियों ने दिशा निर्देशों की सीमा को पूरी तरह से लांघ दिया है। अधिक से अधिक जोड़ों की शादी का रिकार्ड बनाने के चक्कर में अधिकारियों ने शादीशुदा जोड़ों को दोबारा मंडप में बैठाने तक से गुरेज नहीं किया। अधिकारियों की यही कारगुजारी अब उनके गले की हड्डी बन चुकी है।
उनकी गड़बड़ी अब एक-एक कर सामने आ रही है। चीती गांव के चार शादीशुदा जोड़ों की दोबारा शादी का प्रकरण सामने आने के बाद अब दादरी ब्लॉक में पात्रों के चयन में भी गड़बड़ी सामने आई है। दादरी ब्लॉक के 24 व नगर पालिका दादरी के दो जोड़ों के नाम में 24 फरवरी को हुई शादी के लिए सूची में शामिल गए गए थे।
सामूहिक विवाह के मंडप में शादी रचाने के लिए 12 युवतियां केवल बंबावड़ गांव से ही थी। विवाह के लिए सूची में जिन मुस्लिम युवतियों के नाम शामिल हैं, उसमें कुछ की शादी पहले की हो चुकी है। उसका रिकार्ड भी मौजूद है। इसके अलावा कुछ हिंदू युवतियों की शादी भी हो चुकी है। एक युवती की शादी सरकारी कर्मचारी से हुई है।
बिलासपुर के भी एक शादीशुदा जोड़े की शादी सामूहिक विवाह मंडप में दोबारा कराई गई है। गड़बड़ी सामने आने के बाद जांच में जुटे अधिकारियों ने गांव पहुंचकर शादी रचाने वाले जोड़ों को किसी के सामने मुंह न खोलने की हिदायत देना शुरू कर दिया है। ताकि उनकी गर्दन बची रही।
सूत्र बताते हैं कि ग्राम प्रधानों ने भी शादीशुदा जोड़ों को शादी में मिलने वाली बीस हजार रुपये की धनराशि एवं उपहार का लालच दिया और उनसे मिलने वाली रकम में कमीशन भी तय किया था। मुख्यमंत्री में आवेदन एवं पात्रता की जांच अनिवार्य थी। दस जोड़ों की बगैर पंजीकरण शादी कराई गई।
वहीं, जिलाधिकारी बीएन सिंह का कहना है कि इसकी अनुमति देने वाले अधिकारियों से जोड़ों को उपहार व विवाह के आयोजन पर खर्च हुई धनराशि वसूली जाएगी। अन्य जोड़ों की पात्रता की भी एक बार फिर जांच कराई जाएगी।
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