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सीलिंग मामला: पार्किंग और पर्यावरण के मुद्दे पर सख्‍त हुआ SC, सांसत में व्‍यापारी

सुप्रीम कोर्ट में यह भी साफ करना होगा कि इन संशोधन से पार्किंग और पर्यावरण के लिए कोई परेशानी खड़ी नहीं होगी

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 07 Mar 2018 04:19 PM (IST)
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सीलिंग मामला: पार्किंग और पर्यावरण के मुद्दे पर सख्‍त हुआ SC, सांसत में व्‍यापारी

नई दिल्ली [ जेएनएन ]। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मास्टर प्लान 2021 में संशोधन की प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने से सीलिंग से राहत की राह भी और लंबी हो गई है। अब इन प्रस्तावों को लेकर न केवल हलफनामा देकर दिल्ली सरकार, डीडीए एवं नगर निगम को सुप्रीम कोर्ट में सारी स्थिति पहले स्पष्ट करनी होगी, बल्कि यह भी साफ करना होगा कि इन संशोधन से पार्किंग और पर्यावरण के लिए कोई परेशानी खड़ी नहीं होगी। इसके बाद ही आगे की दिशा में कोई कार्यवाही हो सकेगी। निस्संदेह इस सबमें खासा समय लग जाने की संभावना है। तब तक सीलिंग भी जारी रहेगी।

मास्टर प्लान में प्रमुख संशोधन

1- डीडीए बोर्ड की ओर से एक समान फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) पर मुहर लगा दी है। इसके मुताबिक अब सभी शॉप कम रेजिडेंशियल प्लॉटस/कांप्लेक्स पर एक समान एफएआर होगी।

2- इसके अलावा शॉप कम रेजिडेंशियल प्लॉट/कांप्लेक्स में कमर्शल और प्रफेशनल एक्टिविटी के लिए बेसमेंट का प्रयोग किया जा सकेगा। अन्य प्रफेशनल सर्विसेज जैसे आइटी प्रफेशनल, रीयल इस्टेट, एलआइजी एजेंट, मेडिकल, मेट्रिमोनियल सर्विसेज आदि को भी मिक्स लैंड यूज में शामिल किया गया है।

3- ऐसी जगहों पर गाडिय़ों और लोगों की आवाजाही को देखते हुए संबंधित स्थानीय निकाय को इन जगहों पर सुविधाएं जैसे पार्किंग, पानी, सीवरेज आदि की व्यवस्था करनी होगी। यदि इन दुकानों में पार्किंग की जगह नहीं है तो स्थानीय निकाय कॉमन पार्किंग की व्यवस्था करेंगे।

4- यदि पार्किंग के लिए आसपास भी जगह नहीं मिल पाती तो ऐसे कांप्लेक्स, स्ट्रीट को पेडिस्टेरियन स्ट्रीट या एरिया घोषित किया जाएगा। पार्किंग सुविधा को बढ़ावा देने के लिए स्कीम एरिया में 5 फीसद अधिक ग्राउंड कवरेज को मंजूरी दी गई है।

5- प्लॉट में पार्किंग को बढ़ावा देने के लिए कनवर्जन चार्ज में छूट आदि जैसे व्यवस्था की जाएगी। प्रदूषण, व्यापारिकरण आदि की समस्या को दूर करने के लिए प्लॉट की प्रवेश व निकास को प्रतिबंधित किया जाएगा, बाहर की तरफ ए सी यूनिट, एक्जास्ट फैन की इजाजत नहीं होगी ताकि बाहर व्यवस्था बनी रहे। गोदाम के लिए भी नियमों में बदलाव किए गए हैं।

6- गांव में कम से कम 9 मीटर चौड़ी रोड पर 300 वर्ग  मीटर, 12 मीटर चौड़ी रोड पर अब प्लॉट साइज के हिसाब से गोदाम बनाए जा सकेंगे। कनवर्जन चार्ज के भुगतान पर दस साल की कैपिंग की गई है और कनवर्जन चार्ज पर लगने वाली पैनेंल्टी को 10 गुना से डेढ़ गुना किया जा रहा है। पहले यह 10 गुना से दो गुना किए जाने का प्रस्ताव था।

जल्दबाजी रही बेमानी, घटाए थे आपत्तियों और सुझाव के दिन

इस तरह के किसी प्रस्ताव पर सुझाव और आपत्ति देने के लिए पहले दिल्ली वासियों को 45 दिन का समय मिलता था। लेकिन मौजूदा केस में इस समय को तीन दिन कर दिया था। आरडब्ल्यूए, व्यापारी संगठनों और टाउन प्लानरों ने इस अल्पावधि को लेकर विरोध जताया बाद में दो दिन का समय बढ़ाने पर डीडीए की सहमति बनी।

आरडब्ल्यू शुरू से कर रही विरोध

दिल्ली की विभिन्न आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों की ओर से डीडीए को साफ शब्दों में कह दिया गया था कि उन्हें यह संशोधन मंजूर नहीं है। उनका कहना था कि दिल्ली के मास्टर प्लान में बार बार संशोधन कर जनता को परेशान किया जा रहा है।

रिहायशी क्षेत्रों में रहने वाले लोग पहले ही कमर्शियल गतिविधियों से परेशान हैं। अब उनकी बचीखुची शांति को भी इस प्रयास से छीनने की कोशिश की जा रही है। आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों ने डीडीए के संशोधन प्रस्तावों पर सवाल उठाते हुए यह भी पूछा था कि, कन्वर्जन शुल्क में छूट देने के लिए क्या डीडीए ने कोई सर्वे कराया है? क्या कोई रिपोर्ट बनाई गई है? पार्किंग की स्थिति को लेकर भी क्या कोई फील्ड सर्वे कराया गया है ?

क्या इन प्रस्तावों को लेकर पर्यावरण पर पडऩे वाले प्रभावों का आंकलन किया गया है? इससे किसे कितना फायदा होगा? किस आधार पर व्यापारियों को छूट देने का निर्णय लिया जा रहा है ? यहां तक कि जन सुनवाई के दौरान आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि पहले अवैध अतिक्रमण कराया जाता है और बाद में उसको वैध कर दिया जाता है।

इसमें आम लोगों की क्या गलती है? रिहायशी इलाकों में चल रही दुकानों में भी आधी रात तक गतिविधियां चलती रहती है। इससे वहां की शांति भंग होती है। हमारी मांग है कि इस तरह से विकास के नाम पर विनाश को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।

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